Rajasthan

हल्दीघाटी के युद्ध को लेकर बीजेपी-कांग्रेस में शुरू हुआ घमासान। Political struggle started again in BJP-Congress over battle of Haldighati– News18 Hindi

जयपुर. हल्दीघाटी (Haldighati) के मैदान से विवादस्पद शिलालेख हटाने से गहलोत सरकार और कांग्रेस (Gehlot government and Congress) खफा है. राजस्थान के संस्कृति मंत्री ने कहा कि हल्दीघाटी की रक्त तलाई इतिहास की धरोहर है. यहां से कोई भी प्रतीक चिन्ह हटाना गलत है. दूसरी तरफ बीजेपी (BJP) ने शिलालेख हटाने को इतिहास की भूल सुधार बताया है. बीजेपी ने कहा कि विवादास्पद शिलापट्टिकाएं हटाने के बाद अब गहलोत सरकार और कांग्रेस को भी महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की हल्दीघाटी में जीत के सच को स्वीकार करना चाहिए.

ऐतिहासिक हल्दीघाटी युद्ध में राजूपतों और मुगलों के रक्त से लाल हुई हल्दीघाटी की रक्त तलाई से गुरुवार शाम को उन विवादास्पद शिलालाखों को हटा लिया जिनमें से एक शिलालेख पर लिखा है कि मुगलों और महाराणा की सेना में भीषण संग्राम के दौरान प्रताप की सेना पीछे हटी और युद्ध उसी दिन खत्म हो गया. बीजेपी सासंद दीया कुमारी समेत मेवाड़ के कई संगठनों की आपत्ति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इन शिलालेख को हटाया तो गहलोत सरकार भड़क गई. राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा रक्त तलाई एतिहासिक धरोहर है. वहां से किसी भी प्रतीक के हटाना गलत है.

सही और गलत पर भिड़ी बीजेपी-कांग्रेस

दूसरी तरफ बीजेपी ने गहलोत सरकार और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि गलत शिलालेख को हटाना कैसे गलत है. बीजेपी ने कांग्रेस और गहलोत सरकार को नसीहत दी कि प्रताप की हार बताने वाले शिलालेख हटने के बाद अब वो इस सच को स्वीकार कर लें कि हल्दीघाटी में महाराणा विजयी हुए थे न कि मुगलों की सेना. तीन साल पहले ही तत्कालीन बीजेपी सरकार में शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने ही एक इतिहासकार के शोध पत्र के आधार पर पाठ्यक्रम में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा को विजेता घोषित किया था.

सांसद दीया कुमारी ने पत्र में बताए थे ये तथ्य

सांसद दीया कुमारी द्वारा केंद्र सरकार को लिखे पत्र के मुताबिक ये विवादास्पद शिलालेख तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1976 में हल्दीघाटी की यात्रा के वक्त लगाए गए थे. तब एक शिलालेख पर महाराणा की हार दिखाई गई थी तो दूसरे पर युद्ध की तारीख ही गलत लिखी थी. अब कांग्रेस शिलालेख से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम जोड़े जाने से भी खफा है.

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