हाईकोर्ट पहुंचा जयपुर ग्रेटर नगर निगम के निलंबन का मामला, निलंबित मेयर ने दाखिल की याचिका Rajasthan News-Jaipur News-Jaipur Greater Municipal Corporations mayor suspension case reached High Court


अपनी याचिका में निलंबित मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने कहा है कि पूरी कार्रवाई एक तरफा और राजनीति से प्रेरित होकर की गई है.
Unlimited politics in rajasthan: जयपुर ग्रेटर नगर निगम में महापौर और आयुक्त का विवाद अब हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से निलंबित की गई मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर (Dr. Soumya Gurjar) ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुये हाई कोर्ट में ऑनलाइन याचिका दायर की है.
जयपुर. जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation) में महापौर और आयुक्त के विवाद में मेयर तथा 3 पार्षदों पर की गई कार्रवाई का मामला अब हाई कोर्ट (High Court) पहुंच गया है. निलंबित मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर (Dr. Soumya Gurjar) ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर करके स्वायत्त शासन विभाग की कार्रवाई को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा है कि उनके निलंबन की कार्रवाई पूरी तरह से नियमों के विपरीत जाकर की गई है. पूरे मामले में उन्हें पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया.
डॉ. सौम्या ने अपनी याचिका में कहा है कि थाने में दर्ज एफआईआर में भी उनका नाम नहीं है. लेकिन फिर भी उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई. गुर्जर ने अधिवक्ता आशीष शर्मा के जरिए अपनी याचिका ऑनलाइन दायर की है. हालांकि कोरोना काल और समर वैकेशन होने के कारण इस समय हाई कोर्ट रिट याचिकाएं लिस्ट नहीं कर रहा है. ऐसे में याचिका को लिस्ट करवाने के लिए पहले अदालत से अनुमति लेनी होगी.
आईएएस की शिकायत पर आरएएस को जांच
अपनी याचिका में डॉ. सौम्या गुर्जर ने कहा कि पूरे मामले में सरकार ने घटना के दिन ही आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव की शिकायत पर जांच एक आरएएस अधिकारी को सौंप दी. ऐसे में उनसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है. जांच अधिकारी ने उन्हें 5 जून को नोटिस जारी करके उसी दिन दोपहर 3 बजे तक जवाब का समय दिया. लेकिन समय समाप्त होने के बाद उन्हें नोटिस मिला. वहीं शनिवार होने के चलते उस दिन वीकेंड कर्फ्यू भी लगा हुआ था.पूरी कार्रवाई एक तरफा और राजनीति से प्रेरित होकर की गई है
इसके बाद जांच अधिकारी ने रविवार को 2 बजे का टाइम जवाब देने के लिए फिक्स किया. लेकिन उस दिन भी वीकेंड कर्फ्यू था. ऐसे में हमने जवाब के लिए उपयुक्त समय देने का प्रार्थना पत्र पेश किया. उसे दरकिनार करते हुए जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी. उसके आधार पर सरकार ने याचिकाकर्ता को 6 जून को निलंबित कर दिया. वहीं नया कार्यवाहक मेयर भी नियुक्त कर दिया. यह पूरी कार्रवाई एक तरफा और राजनीति से प्रेरित होकर की गई है.
यह था पूरा मामला
दरअसल 4 जून को शहर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली BVG कंपनी के भुगतान को लेकर मेयर ने आयुक्त को अपने चैम्बर में बात करने के लिए बुलाया. वहां पहले से सफाई समिति चैयरमेन सहित अन्य पार्षद मौजूद थे. आयुक्त का आरोप है कि मेयर की मौजूदगी में तीन पार्षदों ने उनके साथ बदसूलकी की. नौबत हाथापाई तक भी आना बताया जाता है. इसके बाद आयुक्त के समर्थन में निगम कर्मचारी आ गए. वहीं मेयर पार्षदों के पक्ष में डटी रही.