Rajasthan

हाईकोर्ट ,Rajasthan High Court said that 3 years advance fees cannot be taken from students in private medical college

एकमुश्त 3 साल की फीस नहीं ले सकते निजी मेडिकल कॉलेज: हाईकोर्ट.

एकमुश्त 3 साल की फीस नहीं ले सकते निजी मेडिकल कॉलेज: हाईकोर्ट.

हाईकोर्ट की जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस रामेश्वर व्यास की खण्डपीठ ने निजी मेडिकल कॉलेजों को बड़ा झटका दिया. एडवोकेट दीपेश बेनीवाल की याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए खण्डपीठ ने कहा कि प्रथम वर्ष के छात्र से एडवांस में साढ़े तीन साल की एकमुश्त फीस लेना गलत है.

जोधपुर. निजी मेडिकल कॉलेज ( Private Medical College ) में एमबीबीएस व बीडीएस विषय में प्रवेश के दौरान छात्रों से बैंक गांरटी व एडवांस फीस वसूली को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस रामेश्वर व्यास की खण्डपीठ ने निजी मेडिकल कॉलेज को बड़ा झटका देते हुए छात्रों को राहत प्रदान की है. एडवोकेट दीपेश बेनीवाल की याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए खण्डपीठ ने कहा कि प्रथम वर्ष के छात्र से एडवांस में साढ़े तीन साल की एकमुश्त फीस लेना गलत है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नया प्रवेश लेने वाले छात्रों से प्रथम वर्ष के अलावा ली जा रही साढ़े तीन साल की फीस की बैंक गारंटी जमा कराने के आदेश को अवैध करार दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह की मनमानी वसूली नहीं की जा सकती है. कुछ मामलों में ही बीच में पढ़ाई छोडक़र जाने की आशंका वाले मामलों में सिर्फ बांड भरवाकर ले सकते हैं. पूर्व में हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए अतंरिम आदेश दिए थे, लेकिन निजी मेडिकल कॉलेजों ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए पुन: सुनवाई के लिए मामले को हाईकोर्ट में भेज दिया था. सोमवार को इस मामले का निस्तारण करते हुए हाईकोर्ट में न्यायाधीश संगीत राज लोढ़ा व रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने कहा कि प्रत्येक छात्र से इस तरह प्रथम वर्ष के अलावा अगले साढ़े तीन वर्ष की फीस की बैंक गारंटी नहीं ली जा सकती है. हाईकोर्ट ने पूर्व में ली गई एडवांस फीस को किसी नेशनलाइज्ड बैंक में एफडी करवाने के आदेश दिया. साथ ही यह आदेश दिया कि इस एफडी पर निजी मेडिकल कॉलेज किसी प्रकार का लोन नहीं ले सकेंगे. उस पर मिलने वाला ब्याज छात्र की फीस में समायोजित होगा.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस आदेश की पालना सुनिश्चित करें. हाईकोर्ट के इस निर्णय से प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालकों को झटका लगा है.  गौरतलब है कि प्रदेश के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में अलग-अलग सालाना फीस ली जाती है. सबसे कम फीस 15 लाख रुपए सालाना है. कुछ मेडिकल कॉलेजों ने प्रथम वर्ष की फीस जमा कराने के साथ ही दो वर्ष की फीस अग्रिम जमा कराने का आदेश निकाला. बाद में इसका विरोध होते देख सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने नया प्रवेश लेने वाले छात्रों से प्रथम वर्ष की फीस के अलावा साढ़े तीन साल की फीस के बराबर राशि की बैंक गारंटी देने को कहा. इससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई. उन्हें 52.50 लाख रुपए या इससे अधिक की बैंक गारंटी जमा करवानी थी. हाईकोर्ट के आदेश से उन्हें बहुत बड़ी राहत मिली है.





Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj