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हिंदी लेखन की दुनिया में बड़ा कदम, मुंबई में खुला पहला ‘कॉन्टेंट हैडक्वार्टर’

किसी भी प्रोफेशन में हिंदी लेखन को दोयम दर्ज का काम समझा जाता रहा है, लेकिन वक्त के साथ-साथ अब हिंदी लेखन और हिंदी लेखकों की तस्वीर तेजी से बदल रही है. हिंदी साहित्य की तमाम विधाओं में लेखन पूरी तरह से प्रोफेशनल होता जा रहा है. और अब दुनिया को एक नया स्वरूप दिया है थ्रिलर लेखक अमित खान ने. अमित खान ने मुंबई में हिंदी लेखन की दुनिया को थोड़ा ग्लैमराइज करते हुए ‘कॉन्टेंट हैडक्वार्टर’ की शुरूआत की है. ‘कॉन्टेंट हैडक्वार्टर’ अमित खान का भारत में पहला राइटर्स रूम है.

मुंबई के अंधेरी वेस्ट एरिया में ‘कॉन्टेंट हैडक्वार्टर’ के शुभारंभ में फिल्मी दुनिया के कई प्रसिद्ध चेहरे शामिल हुए. मशहूर निर्माता-निर्देशक केतन मनमोहन देसाई, लेखक-निर्देशक रूमी जाफरी, संगीतकार राम शंकर, पेन स्टूडियो की तरफ से प्रोड्यूसर कुशल गडा, फिल्मी समीक्षक गिरीश वानखेड़े, फिल्म और थिएटर आलोचक व लेखक अजित राय सहित कई नामचीन लोग इस अवसर पर उपस्थित थे.

कॉन्टेंट हैडक्वार्टर
दरअसल हॉलीवुड में राइटर्स रूम का चलन है. भारत में भी फिल्म दुनिया में कुछ बड़े निर्माता-निर्देशक लेखकों को वेतन पर अपने यहां रखते है. यहां लेखक और निर्माता-निर्देशक की भूमिका कर्मचारी और नियोक्ता की तरह होती है, जहां लेखक निर्माता-निर्देशकों के केवल ‘यस मैन’ होते हैं. यहां लेखकों को अपने दृष्टिकोण से कहानियां रचने की आजादी नहीं है. ऐसी कहानी के कॉन्सेप्ट्स से लेकर सीन फाइनल करने तक के सारे अधिकार सिर्फ निर्माता-निर्देशक के पास ही होते हैं. कई बार तो लेखक के क्रेडिट तक में निर्माता-निर्देशक तक का ही नाम जाता था.

सायको किलर ‘नायिका’ के बहाने महिलाओं की स्थित बयां करता अमित खान का थ्रिलर उपन्यास

अमित खान बताते हैं कि उनका हमेशा से ही सपना रहा था कि भारत में भी राइटर्स रूम होना चाहिए, जहां एक लेखक पूरी आजादी के साथ अपनी कल्पनाओं को शब्द दे सके. उसके ऊपर किसी भी निर्माता-निर्देशक का दवाब न हो. बस इसी कल्पना को ‘कॉन्टेंट हैडक्वार्टर’ के रूप में साकार किया है. उन्होंने बताया कि राइटर्स रूम हिंदी लेखक आपस में मिलकर नई-नई स्क्रिप्ट तैयार करेंगे.

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