Rajasthan

1.25 lakh words in Bijji’s literature Rajasthani | बिज्जी के साहित्य में सवा लाख शब्द राजस्थानी

जेकेके: ‘स्पंदन’ में पढ़ीं दुष्यंत की गजलें और कविताएं

जयपुर. ‘मत कहो आकाश में कोहरा घना है, यह किसी की आलोचना है’ ‘हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए’ सहित कई गजल, कविता पढक़र कवि दुष्यंत कुमार को याद किया गया। अवसर था जवाहर कला केन्द्र में कला संसार के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम ‘स्पंदन’ का। दूसरे दिन शुक्रवार को दो सवंाद सत्र आयोजित किए गए। सेशन ‘टाइमलेस टेल्स वाया गार्डन ऑफ टेल्स’ में डॉ. तबीना अंजुम ने विशेष कोठारी से लोक कथाओं के अनुवाद और चुनौतियों पर चर्चा की। तबीना ने कहा कि लोक कथाओं की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी, लेकिन इन्हें वैश्विक पटल पर रखने की जरूरत है।

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