1999 वर्ल्ड कप से हुए फेमस, एक्टिंग में नहीं संवर रहा था करियर, निराश एक्टर पहुंचा ऋषिकेश, ढाबे में किया काम, और…

10th Fail Actor Played Apple Singh in Cricket World Cup 1999: मुंबई को सपनों की नगरी कहा जाता है. देश की एक ऐसी जगह, जहां जाकर लोगों की किस्मत बदल जाती है. ना जाने कितने ही युवा हर रोज अपना सब कुछ पीछे छोड़कर मुंबई पहुंचते हैं. एक्टर बनने, नेम-फेम और ढेर सारे पैसे कमाने की चाह में. लेकिन, क्या हीरो बनना इतना आसान है. कई कलाकारों को इंडस्ट्री में झट से पहचान मिल जाती है तो कई को अपनी पहचान बनाने में सालों लग जाते हैं. ऐसे ही अभिनेता हैं संजय मिश्रा, जो आज तो जबरदस्त सुर्खियों में हैं, लेकिन इसके लिए खूब एड़ियां घिसनी पड़ीं.
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मुंबई: बॉलीवुड में कई ऐसे एक्टर ही जिनकी सफलता के किस्से जितने बड़े हैं उसकी पीछे उतना ही बड़ा उनके स्ट्रगल की कहानी छिपी हुई है. बॉलीवुड एक ऐसी इंडस्ट्री है जहां हजारो लोग सफल एक्टर का सपना लेकर आते हैं और उनमें से कुछ को ही अपनी मंजिल नसीब हो पाती है. ऐसे सफल एक्टर्स के पीछे की कहानी काफी मोटीवेट करती है. हम आपको एक ऐसे एक्टर की कहानी बताने जा रहे हैं जिनकी एक्टिंग याद करने मात्र से मन खुश हो जाता है और चेहरे पर स्माइल आ जाती है. इनके हर किरदार दर्शकों के दिल में बसे हैं. हम बात कर रहे हैं ‘वध’ फेम बॉलीवुड अभिनेता संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) की. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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किसी छोटे शहर से बॉलीवुड में आकर सफलता हासिल करना रेगिस्तान में पानी तलाशने से कम नहीं है. लेकिन अपनी मेहनत और लगन के दम पर संजय मिश्रा ने ये साबित कर दिया कि मन में लगन हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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अपने तीन दशक के फिल्मी करियर में संजय मिश्रा ने अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा फिल्में की हैं. आज इंडस्ट्री में उनकी गिनती सफल एक्टर के तौर पर की जाती है. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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6 अक्टूबर 1963 को जन्में संजय मिश्रा ने आज इंडस्ट्री में आज वो मुकाम पा चुके हैं जहां वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है. संजय मिश्रा ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया था और इसके बाद उन्होंने 1995 में ‘ओह डार्लिंग यह है इंडिया’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. संजय की एक्टिंग का लेवल आप इस बात से ही समझ सकते हैं कि ‘आंखों देखी’ और ‘वध’ के लिए दो बार सर्वश्रेष्ठ फिल्म फेयर क्रिटिक्स अवार्ड जीत चुके हैं. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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संजय मिश्रा इंडस्ट्री के कुछ ऐसे एक्टर में शुमार हैं जिन्हें ड्रामा आर कॉमेडी दोनों के लिए परफेक्ट एक्टर माना जाता है. हम सब उनकी एक्टिंग को खूब एंजाय करते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि यह मुकाम पाना उनके लिए इतना आसान नहीं था इसके पीछे सालों की कड़ी मेहनत है. बड़ी बड़ी फिल्में का ऑफर मिलने से पहले संजय छोटे छोटे विज्ञापन और शॉर्ट फिल्में किया करते थे. उन्हें सबसे पहले बड़ी पहचान तब मिली जब उन्होंने बिग बी अमिताभ बच्चन के साथ मिरिंडा कोल्ड ड्रिंक का विज्ञापन किया. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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संजय मिश्रा के पढ़ाई के दिन भी काफी स्ट्रगल भरे रहे. दसवीं परीक्षा में वे दो बार असफल हुए लेकिन एक्टिंग के प्रति उनका जुनून बना रहा. वे 1991 में मुंबई चले गए और एक्टिंग का बड़ा चांस पाने के लिए कई साल तक संघर्ष करते रहे. मिश्रा की पहली पहली फिल्म ‘ओह डार्लिंग यह है इंडिया’ थी, इसमें उन्होंने एक हरमोनियम वादक के रूप में एक छोटी से भूमिका निभाई थी. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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1999 तक उन्होंने फिल्मी जगत के कई पहलुओं जैसे कला निर्देशन, प्रकाश व्यवस्था, कैमरा वर्क आदि का नॉलेज लिया. इस बीच कई बार ऐसा भी हुआ कि उन्होंने सिर्फ वड़ा पाव खाकर ही अपने दिन काटे. कई बार उन्होंने अपनी रातें रेलवे स्टेशन पर काटीं. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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1999 के वर्ल्ड कप सीरीज के दौरान उन्होंने विज्ञापन में दौरान एप्पल सिंह की भूमिका निभाई, जिसने संजय मिश्रा को बड़ी पहचान दी. इसी वर्ल्ड कप सीरीज से वे काफी फेमस हो गए थे. पिता की मौत के बाद वे अपने घर लौट गए थे. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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इसके बाद वह ऋषिकेश चले गए और एक ढाबे पर काम करने लगे थे. एक्टिंग की वजह से कई लोग उन्हें जानते थे. बाद में रोहित शेट्टी ने उन्हें ऑल द बेस्ट में एक्टिंग का चांस दिया और उन्हें दोबारा मुंबई बुला लिया. (फोटो साभारः इंस्टाग्रामः @imsanjaimishra)
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