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2 कॉलेजों से निकाले गए, पाकिस्तान ने जारी किया अरेस्ट वारंट, जब कालजयी गीत लिखकर हुए मशहूर, तो करने लगे अफसोस

नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा के मशहूर गीतकार का असली नाम अब्दुल हई था, लेकिन उन्होंने शायर इकबाल का शेर पढ़ने के बाद अपना नाम साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) रख लिया और इसी नाम से दुनियाभर में मशहूर हुए. उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए कई कालजयी गाने लिखे, जिनमें ‘चलो एक बार फिर से’, ‘जो वादा किया’, ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ और ‘कभी कभी मेरे दिल में’ जैसे नायाब गीत शामिल हैं.

साहिर लुधियानवी ने पहली दफा 1949 की फिल्म ‘आजादी की राह पर’ के लिए चार गाने लिखे थे. यकीन नहीं होता कि इस महान शायर और गीतकार ने ग्रेजुएशन भी नहीं की थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साहिर ने बीए में एडमिशन लिया था, लेकिन वे ग्रजुएशन पूरी नहीं कर पाए, क्योंकि उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था.

साहिर लुधियानवी जब बतौर शायर और गीतकार ज्यादा मशहूर नहीं थे, तब उन्होंने लुधियाना के गवर्नमेंट कॉलेज और लाहौर के दयाल सिंह कॉलेज से पढ़ाई करनी चाही, लेकिन उन्हें दोनों ही कॉलेज ने बाहर कर दिया. हालांकि, जब वे हिंदी सिनेमा में बतौर गीतकार लोकप्रिय हुए, तो इन दोनों कॉलेज को नाज हुआ कि वे उनके कॉलेज से पढ़े थे और अफसोस भी कि वे वहां से निकाले गए थे.

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साहिर लुधियानवी काफी प्रतिभाशाली गीतकार थे. (फोटो साभार: Instagram@sahirludhianvipage)

पाकिस्तानी सरकार हो गई थी खिलाफ
साहिर लुधियानवी की किसी राजनीति पार्टी से नजदीकियां नहीं थीं, लेकिन उनकी सोच कम्युनिज्म के नजदीक थी. खबरों की मानें, तो पाकिस्तानी सरकार ने 1949 में कम्युनिज्म के समर्थन में लेख लिखने की वजह से उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया था, जिसकी वजह से वे पाकिस्तान छोड़कर दिल्ली आ गए, जहां उन्होंने दो महीने बिताने के बाद मुंबई का रुख किया.

दिल का दौरा पड़ने से हुआ था निधन
साहिर लुधियानवी ने यूं तो कई यादगार गाने लिखे, लेकिन 1964 और 1977 में गानों ‘जो वादा किया’ और ‘कभी कभी मेरे दिल में’ के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजे गए. साहिर लुधियानवी ने दिल का दौरा पड़ने की वजह से 25 अक्टूबर 1980 को अंतिम सांसें ली थीं.

Tags: Bollywood, Entertainemnt, Lyricist

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