200 साल पुराना है ये गणगौर, 40 सालों से पहनाया जा रहा एक ही कपड़ा, भक्तों की पूरी होती है हर मनोकामना!
राहुल मनोहर/सीकर:- राजस्थान में गणगौर का पर्व प्रतिवर्ष बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. सीकर जिले के खाचरियावास गांव में 200 साल पुरानी ईसर गणगौर की लकड़ी की प्रतिमा आज भी पहले की तरह ही है. राजा महाराजाओं के राज परिवार ने ईसर गणगौर की प्रतिमा का स्वरूप दिया था. ईसर गणगौर की दो दिन सवारी निकालने के बाद दोनों ही प्रतिमाओं को कवर लगाकर ऊनी वस्त्रों में लपेटकर सुरक्षित रखा जाता है, जिससे इसका मूल स्वरूप वैसा ही बना रहे और खराब ना हो सके.
2 दिन निकलती है सवारी
यहां रियासत काल के समय से ही गणगौर की सवारी 2 दिन निकलती है. पहले दिन गढ़ से रवाना होकर मुख्य बाजार गणगौरी चौक में ईसर गणगौर की सवारी को विराजमान किया जाता है, जहां नवविवाहिता सहित महिलाएं पूजा अर्चना कर अखंड सुहाग की कामना करती हैं. दूसरे दिन सुबह गढ़ से सवारी रवाना होकर मुख्य बाजार व चिन्हित घर-घर जाकर वापस गढ़ के सामने मैदान पर विराजमान होती है, जहां बोलावणी का मेला लगता है.
आज भी राजघराने की परंपरा के अनुसार शाही लवाज के साथ गणगौर की सवारी निकाली जाती है. इस दौरान पहले दिन लाल रंग की पोशाक धारण कर नगर भ्रमण करवाया जाता है और दूसरे दिन पीली पोशाक धारण करवाकर ऐसा किया जाता है.
ऐसे सहेजते हैं ईसर गणगौर की प्रतिमा
गणगौर निकालने वाले सदस्यों ने लोकल 18 को बताया कि ईसर-गणगौर की प्रतिमा लकड़ी की बनी है. दोनों प्रतिमाओं को लकड़ी और लोहे का जालिनुमा कवर लगाकर ऊनी वस्त्र से ढककर लकड़ी के बक्से में रखा जाता है. ईसर को 40 वर्षों से लगातार एक ही वस्त्र पहनाया जाता है. ईसर को बाघा व अंगरकी पहनाकर सिर पर पगड़ी व किलंगी लगाई जाती है. वहीं गणगौर को हर बार नवविवाहिता अपनी ओर से पोशाक पहनाती हैं. दोनों ही प्रतिमाओं को कृत्रिम गहनों से सजाया जाता है. बोलावनी मेले के आयोजन के पश्चात शाम को विधिवत रूप से गढ़ में ईसर-गणगौर के फेरे भी करवाए जाते हैं.
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रियासत काल में करवाया रंग, आज भी वैसा का वैसा
खास बात यह है कि ईसर गणगौर की प्रतिमाओं पर रियासत काल के दौरान ही ऐसा रंग करवाया हुआ है, जो आज भी 200 साल पुराना होने के बाद भी वैसा का वैसा ही है. ग्रामीणों ने बताया कि ईसर गणगौर की प्रतिमा रियासत काल के दौरान मेड़ता से लाई गई थी. जिसे देखने आज भी आस-पास के दर्जनों गांवों के काफी संख्या में लोग शामिल होते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 11, 2024, 16:27 IST