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40% महिलाओं को मां बनने में होती है परेशानी, कम उम्र से ही लक्षणों पर ध्यान दें

एंडोमेट्रियोसिस ऐसी बीमारी है जिसमें गर्भाशय जैसी लाइनिंग गर्भाशय के बाहर भी बनने लगती है। जब ओवरी, बाउल और पैल्विस में ऐसी लाइनिंग बनती हैं तो गर्भधारण में दिक्कत और माहवारी में असहनीय दर्द होता है। करीब 40% महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस से गर्भधारण में दिक्कत आती है। दुनियाभर में करीब 9 करोड़ से अधिक महिलाएं इससे प्रभावित हैं। इस बीमारी की पहचान होने में दिक्कत होती है क्योंकि कई बार अल्ट्रासाउंड से भी यह बीमारी पकड़ में नहीं आती है। हर वर्ष मार्च में विश्व एंडोमेट्रियोसिस जागरूकता माह मनाया जाता है।

 

इसके संभावित लक्षण
हर महिला में इसके लक्षण अलग हो सकते हैं। कुछ के पैल्विक वाले हिस्से में दर्द, माहवारी के दौरान तेज दर्द, मासिक धर्म से पहले और दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द, माहवारी के एक या दो हफ्ते के आसपास ऐंठन, माहवारी के बीच में ब्लीडिंग या पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना, इनफर्टिलिटी, यौन संबंध के दौरान दर्द, शौच जाने में असहज होना आदि लक्षण हो सकते हैं।

 

कोई एक स्थाई कारण नहीं
25 से 40 वर्ष के बीच होने वाली इस बीमारी के लक्षण 15-16 वर्ष से ही दिखने लगते हैं। फैमिली हिस्ट्री, पेट की सर्जरी, अधिक मात्रा में एस्ट्रोजन, पैल्विक में कैविटी भी इसके कारण हैं। यह बीमारी 20 वर्ष से कम उम्र की किशारियों में भी अधिक देखी जा रही है।

 

प्रेग्नेंसी में दिक्कत इसलिए
कंसीव करने में सफलता नहीं मिलती है तो एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है। प्रेग्नेंसी के लिए ओवरी में अंडे रिलीज होते हैं जो फैलोपियन ट्यूब से स्पर्म की कोशिका से फर्टिलाइज होते हंै और विकसित होने के लिए स्वत: ही यूट्राइन दीवार से जुड़ जाते हैं। इससे ट्यूब में रुकावट होने से अंडे एवं स्पर्म एक साथ नहीं हो पाते हैं।

 

दवा-सर्जरी से होता इलाज
इस बीमारी में डॉक्टर जांचों के बाद कुछ दवाइयां देते हैं। अगर इनसे आराम नहीं मिलता है तो सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है। हल्के लक्षण होने पर गुनगुने पानी से नहाने, पेट की गर्म सिकाई या नियमित व्यायाम से भी आराम मिलता है। कुछ मरीजों में हार्मोनल थैरेपी से भी मदद मिल सकती है।

 

सामाजिक-आर्थिक रूप से परेशान करती है बीमारी

एंडोमेट्रियोसिस ऐसी बीमारी है जिससे सामाजिक व सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। इसमें होने वाले गंभीर दर्द, थकान, अवसाद, चिंता और बांझपन से जीवन की गुणवत्ता घट जाती है। इस दौरान शरीर में तेज दर्द से लड़कियों का स्कूल या काम तक छूट जाता है। घर में काम करने की स्थिति तक नहीं रह जाती है। वैवाहिक जीवन भी खराब होने लगता है।

 

इनसे मिलती है राहत
अलसी के बीज: अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर होता है। इन्हें नियमित रूप से आहार में शामिल करना चाहिए। इसे 5-10 ग्राम तक की मात्रा में लेने से दर्द में आराम मिलता है। यह शरीर को डिटॉक्स भी करता है।

 

हल्दी: हल्दी किसी भी रूप में लेने से लाभ मिलता है। जिस महिला को यह दिक्कत है, वह दूध में हल्दी मिलाकर पी सकती है। हल्दी के एंटीबायोटिक्स इसके संक्रमण को बढऩे से रोकते हैं।
शहद: यह एंडोमेट्रियोसिस ग्रसित महिलाओं के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है। इसे यदि वे सुबह-शाम एक-एक चम्मच लेती हैं तो इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण, शरीर के अंदर की सूजन को कम करते हैं। इससे दर्द में राहत मिलती है।

 

अदरक: अदरक में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते है जो मासिक दर्द में होने वाली परेशानियों को ठीक करने में सहायक होते है।
अरंडी तेल: या कैस्टर ऑयल आसानी से कहीं भी मिल जाता है। इसके उपयोग से शरीर के विषैले पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर का शुद्धिकरण हो जाता है और इसमें आराम मिलता है।

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