460 घरों के इस गांव में हर घर में स्टील फर्नीचर का कारखाना, सालाना 5 करोड़ से ज्यादा का है टर्नओवर

नरेश पारीक/चूरू : शेखावाटी की धरती अपनी कला और कलाकारों के दम पर देश ही नही विदेश में भी विख्यात है यहां की लोक कलाएं और कलाकारों की कला की मुरीद आज दुनिया है. उधोग की दृष्टि से वैसे तो चूरू प्रदेश के अन्य जिलों से काफी पिछड़ा हुआ है लेकिन चूरू से सटा गांव डाबला औधोगिक इकाई के रूप में दिनों ब दिन विकसित हो रहा है.
460 लोगों के इस छोटे से गांव में रहने वाले लोगों के हाथों में कला ऐसी है कि चूरू सहित आस पास के जिलों में यहां बने स्टील फर्नीचर की जबरदस्त डिमांड है और सालाना 5 करोड़ रुपए से अधिक का स्टील फर्नीचर का यहां कारोबार होता है.
40 वर्ष पहले ललित के पिता ने शुरू किया था कारोबार
डाबला गांव निवासी ललित प्रजापत बताते हैं 40 बरस पहले उनके पिता ने गांव में स्टील फर्नीचर के काम की शुरुआत की थी. जिसके बाद आज गांव का अमूमन हर घर इस कारोबार से जुड़ा है. गांव डाबला में बना स्टील फर्नीचर शहर और आसपास के जिलों में सप्लाई होता है.
स्टील फर्नीचर के हब के रूप में विकसित हो रहे इस गांव की गली, गली में हथौड़ी और मशीनों की आवाज सुनाई देगी. वर्षों पहले गांव के कुछ एक लोगों ने इसकी शुरुआत की जिसमें पढ़ाई और डिग्री की कोई आवश्यकता नही थी ऐसे में गांव में ही जब लोगों को रोजगार मिलने लगा तो ग्रामीण इस काम से जुड़ते गए.
बक्शे और अनाज टंकी की मुख्य डिमांड
डाबला गांव निवासी ललित प्रजापत बताते हैं वह लोकल स्तर पर ही कच्चा माल खरीदते हैं और कारीगरों द्वारा जीआई चदर निर्मित बक्शे और अनाज की टंकी बनाई जाती है ललित बताते हैं स्टील फर्नीचर बनाने से लेकर उसे कलर करके तैयार करने की उनकी जिम्मेदारी होती है और इसके लिए उन्होंने बाकायदा मशीनें भी लगा रखी है जरूरत है तो बस प्रशासन और राज्य सरकार के सहयोग की.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2023, 22:13 IST