Hundreds Of People Are In The Trap Of Moneylenders – सूदखोरों के जाल में फंसे हैं सैकड़ों मजबूर लोग

अनूपपुर के पास कोयलांचल में सूदखोरों का एक बड़ा गिरोह पकड़ में आया है। जो जानकारी मिली है वो चिंतित कर रही है

सूदखोरों के जाल में अभी हजारों की तादाद में लोग फंसे हुए हैं। जब भी आप ऐसे किसी व्यक्ति का प्रोफाइल देखने जाएंगे जो सूदखोरों के हाथों अपना सब कुछ गंवा बैठा तो आप पाएंगे कि सूदखारों के हाथ फंसने का एक बड़ा कारण हमारी व्यवस्थाएं भी हैं। गरीब और असहाय लोगों को आखिर कहां आर्थिक सहारा मिलता है। बैंक या अन्य एजेंसियां जो लोन बांटती हैं उनके नियम इतने कठोर हैं, जो ऐसे लोग पूरे ही नहीं कर सकते। कहीं भी आर्थिक सहायता नहीं मिलने पर मजबूरी वश लोग सूदखोरों के जाल में जा फंसते हैं। छोटे-छोटे कामों के लिए ली गई छोटी-छोटी राशि को चुकाते-चुकाते पूरा जीवन निकल जाता है लेकिन ब्याज भी नहीं चुका पाते। कम पढ़े लिखे होना, किसी की सहायता नहीं मिलना, सूदखोरों की धमकियां आदि से वे बुरी तरह टूट जाते हैं और अंतिम सहारा उन्हें आत्महत्या ही नजर आता है। ताजा उदाहरण अभी अनूपपुर के पास कोयलांचल से आया है। यहां आठ सूदखोरों को गिरफ्तार किया गया है।
इनके पास से मिले ब्लैंक चेक्स को देखकर पुलिस कर्मियों का सिर भी चकरा गया। पहले भी कोयालांचल से ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें ये तथ्य आया था कि सूदखोर बकायादारों के खातों की पासबुक, डेबिट कार्ड आदि भी अपने पास ही रख लेते थे। कोयलांचल में ज्यादातर लोग मजदूर वर्ग के हैं जो सूदखोरों के जाल में फंसे हैं। क्योंकि सरकारी खदानों में काम करते हैं तो ऐसे में इनके बैंक खातों में ही इनकी मजदूरी का पैसा आता है जिसे सूदखोर हड़प जाते हैं और ऐसे मजदूर लगातार फाके करने को मजबूर हैं। सूदखोरी का ये जाल लगातार कोयालांचल को जकड़ता जा रहा है। पुलिस इस मामले में सख्ती से जाच करे तो इसमें और भी चेहरे बेनकाब होंगे अभी। सूदखोरों का एक बड़ा रैकेट वहां काम कर रहा है और एक पूरी चेन है इनकी जो न सिर्फ सालों से मजदूरों का शोषण कर रही है बल्कि जो इनके चंगुल में नहीं है उन्हें भी लालच देकर अपने जाल में फांस रही है। पुलिस को चाहिए कि सूदखोरी से जुड़े हर चेहरे को सामने लाए जिससे इस तरह के मामलों पर रोक लगे। सूदखोरी एक ऐसी बीमारी है जो सिर्फ पीडि़त को ही नहीं उसके परिवार को भी निगल जाती है। कई बार ऐसा होता है कि जिसने पैसा लिया उसने आत्महत्या को ही विकल्प समझा लेकिन बाद में परिवार कर्ज चुका रहा है। एक सही व्यवस्था तैयार करने की भी जरूरत है जिससे मजबूर लोगों को आर्थिक सहायता मिल सके।
– पंकज श्रीवास्तव