51 किलो का विशाल गोवर्धन.. 450 साल से हाथों से है बनता, लाखों भक्तों ने लगाई परिक्रमा..

मोहित शर्मा/करौली. गोवर्धन पूजा का त्योहार कल पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है. कल घर-घर के आंगनों में गोबर के गोवर्धन विराजमान हुए हैं. खासकर ब्रज क्षेत्र में इस उत्सव को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है. अगर बात की जाए ब्रज संस्कृति से ओत-प्रोत राजस्थान के करौली की तों, यहां इस खास पर्व का महत्व जन-जन के आराध्य देव श्री राधा मदन मोहन जी के साक्षात विराजमान रहने से और भी बढ़ जाता है. हर साल की भांति इस साल भी मदन मोहन जी के प्रांगण में गाय के 251 किलो गोबर से विशाल गोवर्धन की प्रतिमा हाथों से बनाई गई. 251 किलो के विशाल गोवर्धन महाराज की कल यहां पर लाखों की संख्या में भक्तों ने परिक्रमा लगाई है. ऐसा बताया जाता है कि जब से श्री राधा मदन मोहन जी यहां विराजे हैं तभी से यहां गाय के गोबर से हाथों के द्वारा विशाल गोवर्धन बनाया जाता है.
पूरे दिन मंदिर में लगता है भक्तों तांता
गोवर्धन पूजा के खास मौके पर श्री राधा मदन मोहन जी मंदिर में दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लग जाता है. खासतौर से इस दिन महिलाएं इस मंदिर में अपनी मनोकामना को लेकर 108 परिक्रमा लगाती हैं. वहीं, शाम को इस मंदिर में गोबर के विशाल गोवर्धन की परिक्रमा लगाने के लिए हजारों की संख्या में भक्तों हुजूम उमड़ पड़ता है. गाय के गोबर से गोवर्धन तैयार करने वाले खेमचंद वैष्णव बताते हैं कि इस मंदिर में गोवर्धन जी महाराज की है विशाल प्रतिमा जब से हम मदन मोहन जी विराजे हैं, तभी से गोवर्धन महाराज की पूजा यहां होती आ रही है. वह बताते हैं कि इस गोवर्धन को बनाने में लगभग हर साल 251 किलो गाय का गोबर लगता है. गाय के शुद्ध गोबर से मिनिमम 4 से 5 घंटे में पांच लोगों के हाथ से यह गोवर्धन बनाया जाता है.
सबसे पहले बनाया जाता है आकार
वैष्णव के मुताबिक, इस गोवर्धन प्रतिमा को बनाने में सबसे पहले गोबर को आकार दिया जाता है. फिर बहुत ही बारीकी से गोवर्धन महाराज के हाथ पैर और अंग बनाए जाते हैं और फिर उसके बाद में गोबर के इन विशाल गोवर्धन महाराज का श्रृंगार किया जाता है. अंत में इनका मुखारविंद बनने के बाद और पूजन होने के बाद श्रद्धालु इनके दर्शन कर पाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2023, 17:41 IST