Rajasthan

700 साल पुरानी इस बावड़ी पर आज भी अकेले जाने से डरते हैं लोग, काफी डरावनी है इसकी कहानी

मनीष पुरी/भरतपुर. पौराणिक काल से अपने वैभवशाली स्वरूप को समेटे भरतपुर का बयाना नगर आज भी अपनी इमारतों व निर्माणों से इतिहास के दर्शन कराता है. मध्यकालीन इतिहास की दृष्टि से समृद्धशाली ऐतिहासिक विरासत की चादर लपेटे हुए, बयाना और उसके आस-पडौस के कस्बे तमाम पुरामहत्व के स्मारकों से आज भी गुलजार हैं.

भारत में साल 1451 से अपनी स्थापना के बाद भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना के साल 1526 ईस्वी तक बयाना पर लोदी वंश के सुल्तान इब्राहीम लोदी का शासन था. इसके पास में ही मौजूद कस्बा ब्रह्मबाद इब्राहीम लोदी की ओर से ही बसाया गया था. ब्रह्मबाद हर साल चैत्र के महीने में भरने वाले शीतला माता के लक्खी मेले के चलते पूरे क्षेत्र में अपना खास स्थान रखता है.

1520 में हुआ था निर्माण
इस मेला के स्थान के पास ही एक ऐतिहासिक बावडी स्थित है, जो अपनी स्थापत्य कला के लिए आज भी इतिहास के जानकारों और छात्रों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण स्मारक है. इतिहास के जानकारों के अनुसार साल 1520 में सुल्तान इब्राहीम लोदी की ओर से इस बावड़ी का निर्माण कराया था, जो क्षेत्रवासियों के लिए पेयजल का मुख्य स्त्रोत हुआ करती थी. बावड़ी का मुख्य द्वार इसके सौन्दर्य में चार चांद लगाता शान से खड़ा हुआ नजर आता है.

आज भी अकेले जाने से डरते हैं लोग
सतह से 4 मन्जिल नीचे स्थित बावड़ी का पानी क्षेत्र की भीषण गर्मी के बावजूद पथिकों और स्थानीय नागरिकों को सदियों तक शीतलता का अहसास कराता रहा है. कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस बावड़ी को जिन्नों की ओर से एक ही रात में बनाया गया था, इसके चलते आज भी लोग वहां अकेले जाने में डरते  हैं.

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