भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने U19 वर्ल्डकप में बिखरी चकाचौंध लेकिन फिर टेलैंट के मुताबिक नहीं कर सके प्रदर्शन
नई दिल्ली . उदय सहारन (Uday Saharan) की भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर आईसीसी U19 वर्ल्डकप (ICC U-19 World Cup 2024) के फाइनल में स्थान बना लिया है जहां उसका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से होगा. यह अंडर 19 वर्ल्डकप फाइनल एक तरह से पिछले वर्ष के क्रिकेट वर्ल्डकप (ICC World cup 2023) का ‘रीप्ले’ होगा जिसमें यही दोनों दिग्गज टीमें खिताबी मुकाबले में टकराई थीं. भारत (India U19 cricket Team) के युवाओं के पास फाइनल ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देकर वर्ल्डकप 2023 की सीनियर टीम की हार का बदला चुकाने का सुनहरा मौका होगा.
U19 वर्ल्डकप की बात करें तो इसे सीनियर क्रिकेट में एंट्री का ‘बड़ा प्लेटफॉर्म’ माना जा सकता है. इस टूर्नामेंट ने दुनिया को कई बड़े सितारे दिए हैं. टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाले कई प्लेयर्स बाद में अपने देश की सीनियर टीम में खेले और चकाचौंध बिखेरी. इसमें विराट कोहली, बाबर आजम, ग्रेम स्मिथ, युवराज सिंह, कैफ, शाहीन शाह अफरीदी और शुभमन गिल प्रमुख हैं. दूसरी ओर कई ऐसे खिलाड़ी भी रहे जिन्होंने टूर्नामेंट के अपने प्रदर्शन से भविष्य का स्टार बनने का संकेत दिया लेकिन बाद में उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके. संभवत: अपेक्षाओं का दबाव नहीं झेल पाने, खराब तकदीर, इंजुरी या अन्य विवादों में उलझने के कारण ऐसा हुआ.
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नजर डालते हैं ऐसे प्रमुख भारतीय क्रिकेटरों पर जो अंडर 19 WC के शानदार प्रदर्शन के बाद अपनी चमक और खेल की ‘धमक’ बरकरार नहीं रख सके.
उन्मुक्त चंद : फाइनल में शतक जड़ भारत को बनाया था चैंपियन
दिल्ली के उन्मुक्त चंद (Unmukt Chand) 2012 की अंडर 19 वर्ल्डकप चैंपियन भारतीय टीम के कप्तान थे. नेचुरल स्ट्रोक प्लेयर उन्मुक्त ने अपनी बैटिंग और टेम्परामेंट से दिल जीते थे. जब वे क्रीज पर रहते थे तो बैटिंग बेहद आसान नजर आती थी. दाएं हाथ के इस ओपनर ने टूर्नामेंंट के 6 मैचों में 49.20 के औसत और 75.00 के स्ट्राइक रेट से 246 रन बनाए थे जिसमें फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 111 रन की पारी शामिल थी. 25 चौके और 9 छक्के जड़कर उन्होंने अपनी क्लीन हिटिंग का प्रदर्शन किया था.
इस प्रदर्शन के बाद हर किसी को उम्मीद थी जल्द ही उन्मुक्त सीनियर लेवल पर भारतीय टीम के लिए ‘लंबी पारी’ खेलेंगे, दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो सका. उन्मुक्त दिल्ली के लिए घरेलू क्रिकेट खेले लेकिन प्रदर्शन में स्थिरता न होने के कारण स्थान बरकरार नहीं कर रख पाए. IPL में वे दिल्ली, मुंबई और राजस्थान की फ्रेंचाइजी से खेले लेकिन कुछ खास नहीं कर सके. 28 साल की उम्र में संन्यास लेकर अमेरिका शिफ्ट होने का फैसला किया. इसी साल के टी20 वर्ल्डकप में उन्मुक्त अमेरिका से खेलते हुए नजर आ सकते हैं.
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कमलेश नागरकोटी : ‘रफ्तार के सौदागर’ ने लिए थे 9 विकेट
पृथ्वी शॉ के कप्तानी में भारतीय टीम 2018 में U-19 वर्ल्डकप जीती थी. इस टीम में कमलेश नागरकोटी, शिवम मावी और ईशान पोरेल जैसे बेहतरीन तेज गेंदबाज थे. इसमें सबसे ज्यादा चर्चा राजस्थान के कमलेश नागरकोटी (Kamlesh Nagarkoti) की हुई थी जो बेहतरीन लाइन-लेंग्थ से लगातार 140 किमी/घंटे से अधिक की गति से गेंदबाजी कर रहे थे. उनकी कई गेंदें तो 145 KM/H से अधिक की रफ्तार की रहीं. टूर्नामेंट में नागरकोटी ने छह मैचों में 16.33 के औसत व 3.48 की इकोनॉमी से 9 विकेट लिए थे. नागरकोटी की गेंदों की रफ्तार ने खूब चर्चा बटोरी थी. ऐसा लगा था कि खालिस तेज गेंदबाज की कमी को पूरा करते हुए नागरकोटी जल्द ही सीनियर टीम में स्थान बना लेंगे. लेकिन इसके बाद से उनका करियर बैक इंजुरी से प्रभावित रहा है. वे कुछ खास नहीं कर पाए हैं.
24 साल के कमलेश अब तक केवल तीन फर्स्ट क्लास और 22 लिस्ट ए मैच खेले हैं. IPL 2018 के सीजन में उन्हें कोलकाता नाइटराइडर्स ने 3.2 करोड़ रुपये की बड़ी राशि में खरीदा और 2019 सीजन के लिए रीटेन किया लेकिन चोट के कारण वे कोई मैच नहीं खेल पाए. नागरकोटी IPL में अब तक 12 मैच ही खेल पाए हैं और 57 के औसत से महज 5 विकेट लिए हैं. उनका ज्यादातर वक्त चोट के कारण टीम से बाहर रहकर या बेंच पर बैठकर गुजरा है. वैसे उम्र अभी इस तेज गेंदबाज के पक्ष में है और उम्मीद है कि ये भविष्य में अपनी प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन कर पाएंगे.
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रीतिंदर सोढ़ी : 2000 में ऑलराउंड प्रदर्शन से जीता था दिल
पंजाब के रीतिंदर सिंह सोढ़ी (Reetinder Singh Sodhi) जूनियर लेवल पर वर्ल्ड चैंपियन बनी दो भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं. अपनी कप्तानी में उन्होंने 1996 में भारत को अंडर 15 वर्ल्डकप जिताया और बाद में 2000 में मो. कैफ की कप्तानी में U19 वर्ल्डकप चैंपियन भारतीय टीम के उप कप्तान थे. ऑलराउंडर रीतिंदर ने 2000 के U19 वर्ल्डकप के आठ मैचों की 5 पारियों में 33.50 के औसत से 134 रन बनाने के अलावा 25 के औसत से 5 विकेट लिए थे. मध्यम गति के बॉलर रीतिंदर की जो बात उन्हें खास बनाती थी वह था उनका टेम्परामेंट. बैटिंग हो या बॉलिंग, मुश्किल वक्त में वे टीम इंडिया के लिए ‘संकटमोचक’ बनते थे. फील्डिंग में भी वे बेहतरीन थे.
रीतिंदर का खेल शॉर्टर फॉर्मेट के माफिक था. हर कोई मान रहा था कि वे वनडे में सीनियर टीम के लिए लंबे समय तक न सिर्फ खेलेंगे बल्कि टॉप परफॉर्मर रहेंगे लेकिन 18 ODI के बाद ही उनका सफर रुक गया. 18 वनडे में 25.45 के औसत से 280 रन और 73.00 के औसत से 5 विकेट ही उनके नाम हैं जो उनकी प्रतिभा से कतई न्याय नहीं करते.
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तन्मय श्रीवास्तव : 2008 की विजेता भारतीय टीम के टॉप स्कोरर
विराट कोहली की कप्तानी में 2008 में चैंपियन बनी भारतीय U-19 टीम के लिए सर्वाधिक रन यूपी के तन्मय श्रीवास्तव (Tanmay Srivastava) के थे. उन्होंने टूर्नामेंट में 52.40 के औसत और 77.51 के स्ट्राइक रेट से 262 रन बनाए थे. इस दौरान 24 चौके और सात छक्के भी उनके बल्ले से निकले थे. कुआलालुंपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में भी तन्मय ने 46 रन बनाए थे जो दोनों टीमों की ओर से टॉप स्कोर था. बाएं हाथ के आकर्षक बैटर तन्मय ने गेंदबाजी से भी तीन विकेट भी लिए थे. एक समय उन्हें भी भारतीय टीम में प्रवेश का दावेदार माना जा रहा था लेकिन ऐसा नहीं हो सका. 90 फर्स्ट क्लास और 44 लिस्ट ए मैच खेलने के बाद अक्टूबर 2020 में संन्यास के साथ ही तन्मय का करियर खत्म हो गया.
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मनजोत कालरा : 2018 की चैंपियन टीम के मेंबर, फाइनल में जड़ा शतक
भारतीय टीम को 2018 के अंडर 19 वर्ल्डकप में चैंपियन बनाने में दिल्ली के बाएं हाथ के बैटर मनजोत कालरा (Manjot Kalra) का महत्वपूर्ण योगदान था. मनजोत ने टूर्नामेंट के छह मैचों में 84 के औसत और 89.36 के स्ट्राइक रेट से 252 रन बनाए थे जिसमें फाइनल की नाबाद 101 रन की बेजोड़ पारी शामिल थी. मजबूत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस पारी के दौरान उन्होंने 102 गेंदों का सामना करते हुए आठ चौके और तीन छक्के जड़े थे. ‘प्लेयर ऑफ द फाइनल’ मनजोत को भविष्य का खिलाड़ी माना जा रहा था लेकिन उम्र धोखाधड़ी मामले में उनका नाम आ गया और उन्हें एक साल के बैन का सामना करना पड़ा. इस विवाद के कारण मनजोत के करियर आगे नहीं बढ़ सका. 25 साल के इस खिलाड़ी के नाम पर अब तक एक लिस्ट ए मैच और दो टी20 मैच ही दर्ज हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 10, 2024, 05:46 IST