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Lok Sabha Elections 2024 : कर्नाटक में राष्ट्रवाद, जातीय समीकरण और गारंटी कार्यक्रमों को तरजीह, सूखे से त्रस्त किसानों के हालात पर चर्चा नहीं | Lok Sabha Elections 2024: Nationalism, caste equation and guarantee programs given preference in Karnataka

चुनाव की घोषणा से चंद मिनट पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने तूर के कटोरे कलबुर्गी में ऐलान किया कि उनकी सरकार राज्य को कृषि एवं उद्योग का हब बनाएगी। कलबुर्गी से आने वाले कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पार्टी की दो और न्याय गारंटियां घोषित कीं, जिनमें कृषि उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का संकेत दिया। लेकिन चुनाव विधानसभा के हों या लोकसभा के, मतदान करीब आने के साथ असली मुद्दों पर बातें कम होने लगती हैं, निजी हमले ज्यादा होने लगते हैं।

राष्ट्रवाद और गारंटी का चश्मा

इस बार भी राष्ट्रवाद, हिंदुत्व व जातीय समीकरण को मुख्य हथियार के रूप में आजमाया जा रहा है। राज्य के अधिकांश तालुक सूखे के कारण गंभीर संकट में हैं, पर भावनाओं को छूने वाली बातें ज्यादा हैं। विश्लेषकों का कहना है कि किसानों की हालत जैसे गंभीर मुद्दे पर बात करने का जोखिम कोई पार्टी नहीं उठाएगी। हर चीज को राष्ट्रवाद या गारंटी के चश्मे से दिखाने की कोशिश होगी।

किसान फिर नजरअंदाज!

उत्तर कर्नाटक के कई लोकसभा क्षेत्र, जहां 7 मई को मतदान होगा, सूखे से त्रस्त हैं। इनमें धारवाड़, बागलकोट, हावेरी, चित्रदुर्ग आदि प्रमुख हैं। मवेशियों को बेचने की समस्या यहां हाल ही में बड़े पैमाने पर देखी गई। पर इस पर कोई चर्चा नहीं है। कांग्रेस गारंटी कार्यक्रमों को, तो भाजपा विकसित भारत के संकल्प के साथ राष्ट्रीय मुद्दों को तरजीह दे रही है।

पिछड़ापन स्थायी समस्या

कलबुर्गी के किसान येलप्पा कहते हैं कि सभी नेता स्थानीय समस्याओं से वाकिफ हैं। बीदर, कलबुर्गी, रायचूर, कोप्पल और बल्लारी में पिछड़ापन स्थायी समस्या है। कई चुनाव आए और गए। हालात कितने बदले, सब जानते हैं।

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