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राजस्थान की वो सीट जहां बीजेपी के ‘राम’ के सामने दो और राम, किसकी होगी राम-राम!

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में महज कुछ ही दिन बचे हैं. पूरे देश में इस समय सिर्फ चुनावी बयार बह रही है. हर कोई चुनावी रंग में डूबा हुआ है. राजस्थान के बीकानेर के सियासी रण में भारतीय जनता पार्टी-बीजेपी ने चौथी बार अर्जुनराम मेघवाल को मैदान में उतारा है. उधर, कांग्रेस ने भी बीजेपी को मात देने के लिए मेघवाल कार्ड खेलते हुए पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल पर भरोसा जताया है. बहुजन समाज पार्टी ने भी खेत राम मेघवाल को यहां से टिकट दिया है. एक सीट पर तीन-तीन प्रत्याशी मेघवाल समाज से आने के चलते बीकानेर लोकसभा सीट का मुकाबला और भी रोचक हो गया है. ऐसे में यहां कौन बाजी मारता है, कुछ ही दिनों में स्पष्ट हो जाएगा.

राजस्थान का बीकानेर ने अपनी शाही विरासत के साथ-साथ नमकीन खासकर बीकानेरी भुजिया और मिठाई की बदौलत पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान कायम की है. आप भले ही राव बीका के बसाए इस शहर को नहीं जानते हों, लेकिन बीकानेरी भुजिया का जायका जरूर चखा होगा. यह शहर शाही हवेलियों के अद्भुत स्थापत्य से सैलानियों को सम्मोहित करता है. साथ ही 25,000 चूहों के कारण विश्व विख्यात करणी माता का चमत्कारी मंदिर भी बीकानेर में ही है.

बीकानेर का इतिहास अपने-आप में अनूठा है. थार रेगिस्तान के बीच बसे इस शहर को राजस्थान का दिल भी कहा जाता है. शहर पर कई राजा-महाराजाओं ने शासन किया. बीकानेर की सबसे बड़ी खासियत है कि यह अपनी परम्परा ओर सौहार्द के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है. गंगा-जमुना संस्कृति को दर्शाती इस शहर की आबोहवा भी ऐसी है एक बार यहां आने वाला यहीं का होकर रह जाता है.

बीकानेर महाभारत काल में भी मौजूद था तब इसे जांगल देश कहा जाता था. इसके उत्तर में कुरु और मद्र देश थे. इसलिए महाभारत में जांगल नाम कहीं अकेला और कहीं कुरु और मद्र देशों के साथ जुड़ा मिलता है. बीकानेर की स्थापना का किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है . कहानी के मुताबिक, राव बीकाजी जोधपुर रियासत के राजकुमार थे. एक दिन किसी काम के लिए जल्दी करने के कारण उनकी भाभी ने उनसे मजाक कर लिया. ‘मजाक’ की बात दिल में ऐसी बैठी कि बीकानेर शहर बस गया. किस्से के मुताबिक भाभी ने कहा कि देवरजी इतनी जल्दी में क्यों हो, क्या कोई नया शहर बसाना है?. बस यही बात उनके दिल में बैठ गयी और उसी वक्त राव बीकाजी जोधपुर से अपना काफिला लेकर जांगल प्रदेश की ओर रवाना हो गए. जहां आज बीकानेर बसा है वहां तब भाटियों की हुकूमत हुआ करती थी. जब राव बीकाजी यहां पहुंचे तो उनका सामना उस समय के एक जागीरदार से हुआ जिसका नाम नेर था. उसने ये शर्त रख दी कि नए शहर के नाम में उसका जिक्र भी आना चाहिए और राव बीका और नेर के नामों को मिलाकर बीकानेर नाम का नया शहर बसाया गया.

स्वतंत्रता के बाद इस शहर में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुए और तब से बीकानेर पर सियासी हार-जीत की जंग चल रही है. एक बार फिर शहर का सियासी पारा गर्म है. बीकानेर लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल टाइट है. रणभेरी बज चुकी है और योद्धा खम ठोक कर मैदान में कूद चुके हैं .

क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान के बड़े संसदीय क्षेत्रों में शुमार बीकानेर लोकसभा क्षेत्र, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का चुनाव क्षेत्र होने से सुर्खियों में है. बीकानेर सीट से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी- बीजेपी बराबर जीत दर्ज करवाती रही हैं लेकिन पिछले तीन चुनावों से अर्जुनराम मेघवाल इस सीट से लगातार जीत रहे हैं. बीजेपी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया है.

बीकानेर लोकसभा सीट
बीकानेर संसदीय सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. इनमें पूर्व महाराजा करणी सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लगातार 5 बार विजयी रहे. 1977 के चुनाव ने जनता पार्टी के हरिराम ने जीत हासिल की. 1996 में यहां से पहली बार बीजेपी का खाता खुला और महेंद्र सिंह भाटी विजयी हुए. लेकिन दो साल बाद ही यह सीट कांग्रेस के हाथ में आ गई. बलराम जाखड़ यहां से सांसद चुने गए. उनके बाद 1999 में कांग्रेस के ही रामेश्वर लाल विजयी हुए.

2004 के चुनाव में बीजेपी ने बीकानेर सीट से फिल्मी दुनिया के चर्चित चेहरे धर्मेंद्र को मैदान में उतारा और धर्मेंद्र ने शानदार जीत हासिल की. 2009 में बीजेपी ने अर्जुन राम मेघवाल ने शानदार जीत दर्ज की और अब तक वे ही यहां से सांसद हैं.

इस बार के चुनावी मैदान में बीजेपी से अर्जुन राम मेघवाल, कांग्रस से गोविंद राम मेघवाल और बीएसपी से खेत राम मेघवाल एकदूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस के मदन गोपाल मेघवाल को बड़े अंतर से हराया था. अर्जुन राम को 6.57 लाख वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के मदन गोपाल को 3.93 लाख लोगों ने वोट किया था.

बीकानेर लोकसभा सीट में 8 विधानसभा सीट आती हैं. इनमें से दो पर कांग्रेस और छह सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.

बीकानेर सीट पर जातीय समीकरण
बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में लगभग 20.43 लाख मतदाता हैं. इनमें 10.75 लाख पुरुष, 9.67 लाख महिला और 32 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं. जातियों की बात करें तो इस बीकानेर सीट पर जाट, बिश्नोई, राजपूत, ब्राह्मण, मुस्लिम, एससी और ओबीसी के वोटर मुख्य रूप से हैं.

बीकानेर में एकदूसरे के खिलाफ खम ठोक रहे अर्जुन राम मेघवाल और गोविंद राम मेघवाल, दोनों ही दलित समाज में अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं. तीन बार सांसद बनने से अर्जुन राम मेघवाल की दलित नेता के रूप में देश की राजनीति में बड़ी पहचान बनी है. पीछले चुनाव में अर्जुनराम मेघवाल करीब 2.60 लाख वोटों से विजयी हुए थे. दूसरी ओर मास्टर भंवर लाल के निधन के बाद गोविंद राम मेघवाल प्रदेश की राजनीति में बड़े दलित नेता के रूप में पहचान बनाए हुए हैं.

तीन राम और तीन मेघवाल
बीकानेर सीट पर बड़ा ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां तीन मुख्य दलों ने मेघवाल समुदाय के लोगों को ही टिकट दिया है. इन सबसे ज्यादा रोचक यह है कि तीनों प्रत्याशियों के नाम के साथ राम जुड़ा है. यहां चर्चा है कि बीकानेर में राम का मुकाबला खुद राम से हो रहा है. बीजेपी के राम का मुकाबले में कांग्रेस और बीएसपी ने भी राम को ही मैदान में उतारा है.

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