Rajasthan

शमशान घाट में काली मां का मंदिर, नवरात्रि में आधी रात को होते हैं अनुष्ठान, श्रद्धालुओं की उमड़ती है भीड़

राहुल कौशिक.

भीलवाड़ा. शमशान घाट एक ऐसी जगह होती है जहां अक्सर लोग दिन में भी जाने से कतराते हैं. लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा में एक ऐसा शमशान घाट भी है जहां लोग आधी रात को भी जाते हैं. इसके पीछे वजह इस शमशान घाट में बना काली मां का मंदिर. इस मंदिर में शाम को पूजा अर्चना होती है. वहीं नवरात्रि के दौरान आधी रात को यहां अनुष्ठान होते हैं. इन अनुष्ठानों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. शमशान काली माता मंदिर में श्रद्धालु अपने दुख लेकर आते हैं, जहां माता उनका निवारण करती हैं.

वस्त्रनगरी भीलवाड़ा शहर का पंचमुखी मोक्ष धाम कई मायनों में अलग है. यहां पर स्थित मां शमशान काली मंदिर में दिन में ही नहीं बल्कि रात को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां पर नवरात्री में आधी रात को कई अनुष्ठान किए जाते हैं. इनमें शामिल होने के लिए भीलवाड़ा जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां वे पूर्चा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं.

माता को कोलकात्ता के कालीगढ़ से यहां पर लाया गया है
शमशान काली मंदिर के पुजारी रवि खटीक बताते हैं कि पंचमुखी मोक्ष धाम भीलवाड़ा का सबसे पुराना शमशान है. यहां पर शमशान काली माता की मूर्ति की पांच साल पहले प्राण प्रतिष्ठा की गई थी. इन्हें कोलकात्ता के कालीगढ़ से यहां पर लाया गया था. अधिकतर मंदिरों में सुबह शाम की पूजा अर्चना होती है लेकिन यहां नियमित तौर पर शाम को पूजा होती है. वहीं नवरात्रि के दौरान अर्द्धरात्री में अनुष्ठान किए जाते हैं. इनमें महिला और पुरुषों के साथ ही बच्चे भी शामिल होते हैं.

शमशान घाट में बना पहला मंदिर है ये
मान्यता है कि माता के चढ़े हुए सिंदूर को लगाने से घर में सुख शांति का वास होता है. यह काली माता का पहला ऐसा मंदिर है जो मोक्ष धाम में बना हुआ है. शमशान काली माता के दर्शन करने आए श्रद्धालु सुमित खंडेलवाल ने बताया वे लंबे समय से यहां आ रहे हैं. काली माता सबकी मनोकामनाओं को माता पूर्ण करती है. नवरात्री में यहां पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इनमें रात्री जागरण और सुबह भंडारे को आयोजन होता है.

यहां कई राज्यों से श्रद्धालु आते हैं
वे बताते हैं कि मान्यता है कि रात में किसी शमशान में नहीं जाना चाहिए. लेकिन यहां तो रात में अगर बच्चा भी आता है तो उसका भय खत्म हो जाता है. बकौल सुमित उन्होंने यहां पर कई राज्यों और जिलों से भक्तों को आते देखा है. टोंक से आई महिला श्रद्धालु आस्था ने कहा कि वे भी यहां पर कई बरसों से आ रही हैं. हमने जो भी मनोकामना मांगी वो पूरी हुई हैं. इसके कारण वह अपने पूरे परिवार के साथ हर नवरात्री में यहां दर्शन करने आती हैं.

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