राजस्थान में यहां है 2200 साल पुरानी भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा, ये है ऐतिहासिक मंदिर की कहानी

जालौर: जालौर जिला अपने ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. इसी शहर के मुख्य सदर बाजार स्थित तपावास पोल में एक प्राचीन जैन मंदिर है, जहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की 22 सौ साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है. यह प्रतिमा राजा चंद्रगुप्त मौर्य के काल की है, जिनके साम्राज्य का विस्तार गंधार तक था. उनके शासनकाल में बिन्दुसार, सम्राट अशोक और कुणाल राजा जैसे शासकों ने मिलकर एक करोड़ से अधिक प्रतिमाएं बनवाईं और सवा लाख से अधिक मंदिरों का निर्माण करवाया.
मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमिजालौर के तपावास पोल में स्थित इस मंदिर का मूलनायक भगवान श्री महावीर स्वामी हैं. प्रारंभ में, तपावास पोल में चार प्राचीन मंदिर थे, जिनमें शांतिनाथ भगवान, नेमिनाथ भगवान, आदिनाथ भगवान, और महावीर स्वामी भगवान की प्रतिमाएं स्थापित थीं. ये मंदिर तपागच्छ के आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठित किए गए थे. इन चार मंदिरों को मिलाकर पंचशिखरी जिनालय बनाया गया, जिसमें भगवान पारसनाथ जी और अन्य प्रतिमाएं नए मंदिर में स्थापित की गईं.
निर्माण और प्रतिष्ठा समारोहमंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत 2012 में हुई थी और इसे 2017 में पूरा किया गया. अंजना शलाका प्रतिष्ठा समारोह बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया. वर्तमान में, यह मंदिर श्री महावीर स्वामी पंचशिखरी जिनालय के नाम से प्रसिद्ध है. यहां भगवान श्री महावीर स्वामी के साथ-साथ आदिनाथजी, नेमीनाथजी, और शांतीनाथजी की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं, जो 800 से अधिक वर्षों पुरानी हैं.
मंदिर का धार्मिक महत्वयह मंदिर जालौर जैन संघ का प्रमुख स्थल है और यहां से सभी धार्मिक अनुष्ठान शुरू होते हैं. विशेष रूप से पर्यूषण पर्व के दौरान भगवान की आंगी को सजाया जाता है, जो भक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र होती है.
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FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 19:53 IST