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हरियाणा & जम्मू-कश्मीर चुनाव के पोल ऑफ पोल्स:हरियाणा के 12 एग्जिट पोल में कांग्रेस की वापसी; J&K के 8 पोल में कांग्रेस-NC सरकार

निराला समाज टीम

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की 90-90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग पूरी हो गई है। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। उससे पहले एग्जिट पोल और उसके आधार पर पोल ऑफ पोल्स। दोनों राज्यों में सरकार बनाने के लिए 46 सीटें जरूरी हैं।

हरियाणा में 11 सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल किए हैं। जम्मू-कश्मीर में भी भास्कर रिपोर्टर्स के अलावा 9 एजेंसियों ने एग्जिट पोल किया है। इन सबको मिलाकर पोल ऑफ पोल्स का हिसाब लगाया है।

पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक, हरियाणा के 11 सर्वे में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है। पार्टी को 56 सीटें मिलने का अनुमान है। भाजपा बहुमत से काफी दूर 27 सीटों पर सिमट सकती है।

पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के 10 पोल में 5 नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बना रहे हैं, जबकि 5 में वह बहुमत से 10 से 15 सीटें दूर दिख रही है। पार्टी को 40 सीटें मिलने का अनुमान है। भाजपा 30 सीटें ला सकती है। PDP और अन्य को 10-10 सीटें आएंगी।

हरियाणा: 10 साल बाद कांग्रेस सरकार के आसार

हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों तक पहुंचे। आम लोगों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स और सीनियर जर्नलिस्ट से बात करके हवा का रुख समझा। इस बातचीत से समझ आया कि हरियाणा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और वह अपने बलबूते सरकार भी बना सकती है।

जम्मू-कश्मीर: बहुमत किसी को नहीं, महबूबा बन सकती हैं किंगमेकर

जम्मू-कश्मीर की सभी 90 विधानसभा सीटों तक गए और हवा का रुख समझा। चुनाव के दौरान हमने आम लोगों, पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स, सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल पार्टियों से बात की। इससे समझ आया कि 10 साल बाद भी जम्मू-कश्मीर में एक पार्टी या अलायंस को बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटें मिलती नहीं दिख रही हैं।

2 ओपिनियन पोल भी हुए: हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-NC

चुनाव से पहले सिर्फ दो एजेंसियों ने ओपिनियन पोल कराए थे। हरियाणा में टाइम्स नाउ-मैट्रिज के ओपिनियन पोल में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं। जम्मू और कश्मीर में लोकपोल ओपिनियन सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस और NC की सरकार बनती दिख रही है।

एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में फर्क ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल चुनावी सर्वे है। ओपिनियन पोल को चुनाव से पहले किया जाता है। इसके नतीजे भी चुनाव से पहले जारी होते हैं। इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है। मतलब जरूरी नहीं कि सर्वे के सवालों का जवाब देने वाला मतदाता ही हो। इस सर्वे में अलग-अलग मुद्दों के आधार पर जनता के मूड का अनुमान लगाया जाता है।

एग्जिट पोल चुनाव के दौरान किया जाता है। इसके नतीजे सभी फेज के मतदान खत्म होने के बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल एजेंसियों के अधिकारी वोटिंग के दिन मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं। वे मतदान करने के बाद वोटर्स से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं।

वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है। रिपोर्ट का आकलन किया जाता है, जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसके बाद नतीजों का अनुमान लगाया जाता है।

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