बचपन में पोलियो हुआ पर हार नहीं मानी, शरीर का आधा हिस्सा काम नहीं कर रहा फिर भी जीत रहे हैं मेडल
झुंझुनूं : हौसले बुलंद हो तो जिंदगी में फिर कुछ मुश्किल नहीं रह जाता. शरीर की कोई कमी सफलता के लिए आड़े नहीं आती. इसलिए खुद को कभी कमजोर नहीं समझने वाले संदीप सिंह ने कमजोरियों से लड़ना सीखा और बन गए अन्य दिव्यांगों के लिए प्रेरणा. संदीप सिंह लगातार पदक जीतकर अपना और अपने क्षेत्र का नाम कर रहे हैं.
आप को बता दें कि झुंझुनूं जिले सुलताना के पैरा एथलीट संदीप सिंह जकार्ता में आयोजित चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. संदीप को बचपन से पोलियो है. उनके कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता. अपने हौसलों की ताकत के दम पर उन्होंने 1992 से अब तक 40 से अधिक मैडल जीते हैं. जब बचपन में सामान्य बच्चों को खेलता देखते थे. तो उनकी भी खेलने की इच्छा होती थी और इसी खेलने के जुनून ने उन्हें कामयाबी के शिखर तक पहुंचा दिया. संदीप सिंह आज खुद को अपना आइकन मानते हैं.
संदीप ने बताया की जब अन्य बच्चों को खेलता देखता था. तो उनका भी खेलने का मन होता था. मगर बचपन से पोलियो के कारण कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता था. मगर हार नहीं मानी और अपनी ट्राई साईकिल से राजकीय स्कूल के खेल मैदान में खेलने का अभ्यास शुरू किया. शुरुआत में लोग देखकर हंसते थे. मगर संदीप ने अपनी इसी कमजोरी को ताकत बना लिया. शुरुआत में बाहर खेलने जाते थे. तो संसाधनों का अभाव था. जिसके कारण सही तरीके से तैयारियां नही हो पाती थी. फिर भी प्रदर्शन अच्छा रहता और मेडल जीतते.
सरकार की ओर से दिव्यांगों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई जाती हैं. मगर वो पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाती. जिसके कारण उनका फायदा नहीं मिल पाता हैं. संदीप ने अपनी कमजोरी को मात देते हुए अपने हौसलों की बुलंदी से सफलता हासिल की संदीप सिंह क्षेत्र के अन्य विकलांगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. अब संदीप अन्य दिव्यांगों को स्पोर्ट्स के लिए प्रेरित कर रहें हैं.
FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 20:24 IST