राजस्थान के इस गांव में रावण को लेकर है अनोखी मान्यता, यहां है विशेष विधान, जानें क्या है यहां की कहानी

भीलवाड़ा : पूरे देश और प्रदेश में रावण का दहन पुतला जला कर किया जाता है, लेकिन राजस्थान प्रदेश के भीलवाड़ा में एक ऐसा गांव है जहां पर रावण का वध किया जाता हैं यहीं नहीं जब गांव में अकाल की स्थिति होती हैं तब रावण की पूजा अर्चना कर अच्छी बारिश की मनोकामना मांगी जाती है. इस गांव में रावण की 10 फुट ऊंची स्थाई प्रतिमा बनाई गई है और हर वर्ष दशहरे से पहले इस पर रंग-रोगन किया जाता है. इस खास मौके पर भीलवाड़ा शाहपुरा जिले भर के साथ ही आसपास के गांव यहां एकत्रित होते हैं. इसके साथ ही एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.
भीलवाड़ा जिले के रोपां गांव में दशहरे पर्व के अवसर पर रावण का पुतला जलाने के बजाए गांव में बनी एक स्थाई प्रतिमा का वध किया जाता है. दशहरे से पहले रावण की प्रतिमा का रंग रोगन किया जाता है. इसके बाद दशहरे के पर्व में राम बने बालक द्वारा इस प्रतिमा का वध किया जाता है और गांव के साथ ही आसपास से यहां पर लोग इस आयोजन को देखने आते है. पिछले 70 साल से रोपा में रावण की प्रतिमा बना रखी है, जिसे हर साल दशहरे के मौके पर रंग रोगन करके वध किया जाता है. इसके कारण इस गांव को अन्य ग्रामीण इसे रावण का गांव भी कहते है.
पंडित सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि रोपा गांव में रावण वध से 1 दिन पहले लंका दहन का कार्यक्रम होता है इसके तहत गांव के भगवान चारभुजा नाथ मंदिर से ठाकुर जी की शोभायात्रा निकाली जाती है. इसके बाद राम लक्ष्मण की बोली लगाई जाती है जिसके बाद हनुमान बने बाल कलाकार रावण चौक पहुंचते हैं, जहां पर लंका दहन का कार्यक्रम होता है. इसके बाद राम बने युवक द्वारा तीर कमान से रावण वध किया जाता है.
रावण की होती हैं पूजा पंडित सत्यनारायण शर्मा कहते हैं कि पुराने समय में जब यहां गांव में अकाल पड़ता था. तब सभी आसपास के ग्रामीण यहां पहुंचते थे और एक साथ रावन की पूजा अर्चना करते थे और अच्छी बारिश के लिए मनोकामना मांगते थे.
इसलिए होता है रावण का वधरावण दहन ना करने के पीछे तर्क देते हुए कहा कि रावण एक विद्वान था और अंतिम समय में भगवान श्री राम के कहने पर लक्ष्मण ने रावण के चरणों के पास खड़े होकर ज्ञान प्राप्त किया था. ऐसे विद्वान जिससे खुद भगवान ने ज्ञान प्राप्त किया हो उसको जलाने का अधिकार इंसान को कैसे मिल सकता है. वेद वेदांत के ज्ञाता रावण का दहन कर अपने धर्म शास्त्रों का हम अपमान नहीं कर सकते.
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FIRST PUBLISHED : October 13, 2024, 18:44 IST