This Sagra Mata Rani, famous as the goddess of water in the heritage of Rajasthan, farmers come to apply for water on their fields.
भीलवाड़ा:- राजस्थान प्रदेश का मेवाड़ अपनी खास रियासतों और प्राचीन मंदिरों को लेकर पूरी दुनिया में एक अहम स्थान रखता है. वहीं अगर मेवाड़ की बात की जाए, तो मेवाड़ में ऐसे के प्राचीन मंदिर हैं, जो अपने चमत्कारों को लेकर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बने हुए हैं. आज हम आपको एक ऐसी देवी मां के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे पानी की देवी कहा जाता है. भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के मध्य स्थित 1400 वर्ष प्राचीन सगरा माता का मंदिर है, जो अपने पानी के चमत्कार को लेकर मशहूर है.
भक्तों के अनुसार, जहां माता रानी जगह बता दें, वहां पानी की धारा प्रकट होती है. राजस्थान के इस मंदिर में किसान अपने खेत से जमीन की मिट्टी लेकर पहुंचते हैं और खेत में कुआं और ट्यूबवेल खुदाई के दौरान पानी की अर्जी लगाते हैं. यहां पर भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव और अन्य जिलों से भी किसान पहुंचते हैं.
दो बहनों की प्रतिमा स्थापितसगरा माता मंदिर के पुजारी देवीलाल गुर्जर ने कहा कि भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ के मध्य 6 लाइन हाईवे के निकट 700 फिट ऊची पहाड़ी पर स्थित सगरा माता मंदिर 1400 वर्ष प्राचीन है. यहां पर दो बहनों की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसमें एक मुख्य प्रतिमा सगरा माता, जबकि उनकी बहन नारसी देवी माता विराजमान हैं. सगरा माता को पानी की देवी भी कहा जाता है. यहां पर किसान अपने खेत में पानी की अर्जी लगाने के लिए पहुंचते हैं. किसान अपने खेत की जमीन की मिट्टी लेकर मंदिर आते हैं और माता रानी के दर्शन कर खेत पर कुआं और ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान पानी की अर्जी लगाते हैं. जहां माता रानी जगह बता दें, वहां पानी की धारा प्रकट होती है.
एक बंजारा ने करवाई मंदिर की स्थापना भक्त माधु बा ने लोकल 18 से खास बात करते हुए बताया कि सगरा नाम का एक बंजारा, जो यहां से गुजर रहा था, उसके धन की पोटली कहीं खो गई, जो उसे नहीं मिली. वह उसे ढूंढते हुए इस पहाड़ पर पहुंचा, जहां उसने माता रानी से अरदास लगाई. तब माता रानी ने उसे दर्शन दिए और बताया कि उसका धन कहां है, जिसके बाद बंजारा ने खुश होकर यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया. तब से यह मंदिर यहां स्थापित है और बंजारा के नाम से ही जाना जाता है.
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मंदिर तक ऐसे पहुंचे मंदिर पुजारी देवीलाल ने कहा कि सगरा माता मंदिर भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ 6 लाइन हाईवे के मध्य स्थित 700 फिट ऊची पहाड़ी पर है. भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर, जबकि चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से यह 12 किलोमीटर दूर है. यहां पर पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं, जिसमें पहला रास्ता 350 सीढ़ियों से चढ़कर आना होता है, जबकि दूसरे रास्ते के लिए वाहन से भी पहुंचा जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2024, 17:10 IST
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