जस्टिन ट्रूडो को किस बात का डर? डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए भागे-भागे पहुंचे, इंडिया कनेक्शन तो नहीं
डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, तब से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की हालत खराब हो गई है. उन्हें डर सताने लगा है. उन्हें लग रहा कि कहीं ट्रंप उनके या कनाडा के खिलाफ कोई कड़ा फैसला न ले लें. इसीलिए शनिवार को जस्टिन ट्रूडो भागे भागे अमेरिका पहुंचे. वहां करीब तीन घंटे तक डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत की. दोनों की मुलाकात उस वक्त हुई, जब ट्रंप ने एक दिन पहले कनाडा और चीन के इंपोर्ट पर बड़ा टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. इससे कनाडा की कमर टूटने का खतरा है. दावा तो ये भी किया जा रहा है कि उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर और भारत के साथ रिश्तों पर भी बात की है. लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी जस्टिन ट्रूडो के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं थे. वे आए दिन ट्रंप को लेकर बयानबाजी किया करते थे. लेकिन अब उन्हें डर लग रहा है कि ट्रंप कोई कड़ा फैसला ले लेंगे, तो आने वाले चुनाव में उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की नीति को फॉलो करते हैं. इसकी वजह से कई देशों के साथ बिजनेस वॉर खुलकर सामने आ जाता है. उन्होंने कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाया. इससे ट्रूडो के लिए मुश्किलें बढ़ गईं. क्योंकि कनाडा भारी मात्रा में स्टील और एल्युमीनियम अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है.
कनाडा अमेरिका पर कितना निर्भरजब से ट्रंप प्रशासन ने कनाडा के एक्सपोर्ट पर नया टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, तब से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं. कनाडा की अर्थव्यवस्था काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर है. उसका लगभग 75% एक्सपोर्ट अमेरिका में होता है. कनाडा ने 2023 में अमेरिका को 423 बिलियन डॉलर की वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात किया है. ऐसे में ट्रंप के ऐसे फैसले उनके लिए मुसीबत बढ़ाने वाले हो सकते हैं. कनाडा पहले ही कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है. महंगाई तेजी से बढ़ी है. ट्रूडो की पार्टी की लोकप्रियता लगातार घट रही है. ऐसे में ट्रूडो पर मजबूत दिखने का दबाव है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पहले ही कहा था कि ट्रंप जीते तो अमेरिका और कनाडा के रिश्ते खराब होने वाले हैं.
क्या ट्रंप सच में ट्रूडो को नुकसान पहुंचाएंगे?ट्रंप के बयान देते ही जस्टिन ट्रूडो ने कहा था कि जब भी ट्रंप कोई ऐसा बयान देते हैं, तो इसका मतलब साफ है कि वो इसे लागू करने की प्लानिंग कर रहे हैं. और अगर वे ऐसा करते हैं, तो इससे कनाडा को तो नुकसान होगा ही, अमेरिका के तमाम व्यापारियों को भी नुकसान झेलना पड़ेगा. हमारी जिम्मेदारी है कि हम जनता को इस तरह की चीजों के बारे में बताएं. अमेरिकी प्रशासन को बताएं कि इसका कितना नुकसान हो सकता है. उनके फैसले से अमेरिकी नागरिकों के लिए भी कीमतें बढ़ जाएंगी, वहां भी नुकसान होगा.
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FIRST PUBLISHED : November 30, 2024, 22:10 IST