Rajasthan

You might not have drunk this special sherbet made from white rose flowers, it is prepared in Ayurvedic way

Last Updated:May 18, 2025, 16:33 IST

राजस्थान ने खानपान के लिहाज से सभी राज्यों को पीछे छोड़ रखा है. यहां के व्यंजन इतने स्वादिष्ट होते हैं कि देश ही नहीं विदेशी भी इसके दीवाने हो जाते हैं. अब जब गर्मी का समय है तो राजस्थान के पाली का ऐसा खास शरबत…और पढ़ेंX
सफेद
सफेद फूलों से तैयार होता शरबत

हाइलाइट्स

पाली का सफेद गुलाब शरबत 19 वैरायटियों में उपलब्ध है.शरबत में ग्लूकोज और सेकरीन का उपयोग नहीं होता.कटारिया परिवार 68 साल से आयुर्वेदिक शरबत बना रहा है.

पाली.  पाली में बिक रहे इस शरबत की खासियत यह है कि 19 वैरायटियों के साथ बिना ग्लूकोज-सेकरीन से तैयार किया जाता है जो गर्मी में प्यास से राहत देने के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छा साबित हो रहा है. इस शरबत को आज से 68 साल पहले यहां के वैद्यराज ने आयुर्वेदिक तरीके से तैयार किया था. पाली के गुंदोचिया के अभिषेक कटारिया बताते हैं कि उनके परदादा भागचंद कटारिया वैद्यराज थे. गोल निंबडा-उदयपुरिया बाजार में ही एक छोटी सी आयुर्वेदिक दवाइयों की शॉप थी. उस दौर में आसपास के क्षेत्र में गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए पेय पदार्थों के विकल्प नहीं थे. ऐसे में उन्होंने सदियों पुराने आयुर्वेद के ग्रंथों से ही चार-पांच तरह के शरबत बनाना शुरू किया.

गर्मी में कोई मेहमान उनके पास आता तो वह उन्हें चाय की जगह शरबत पिलाते हैं. यहीं से बेचने का भी सिलसिला शुरू हुआ. उस समय उन्होंने खसखस, रोज, लेमन जैसे चार फ्लेवर शरबत बनाए. धीरे-धीरे उनके बनाए शरबत का स्वाद लोगों की जुबां पर चढ़ने लगा. कभी एक बोतल 2-3 दिन में बिकती थी, फिर डेली 4-5 बोतल बिकना शुरू हो गई. धीरे-धीरे शरबत ‘नवकार’ नाम से ब्रांड बन गया. वैद्य भागचंद कटारिया का 1995 में 95 साल की उम्र में देहांत हो गया. उनके बाद दादा प्रकाश कटारिया और पिता हेमंत कटारिया ने इस बिजनेस को आगे बढ़ाया. हेमंत कटारिया के दो बेटे अभिषेक कटारिया और भावेश कटारिया भी अब इसी काम में जुटे हैं.

पिता से विरासत में मिली शरबत बनाने की तकनीकवैद्य भागचंद कटारिया के परपोते अभिषेक कटारिया और भावेश कटारिया ने अपने पिता से विरासत में मिले इस शरबत के हुनर को न केवल सीखा बल्कि इसको और भी ज्यादा आगे बढ़ाने का काम भी किया. दोनों भाईयों ने करीब दो साल तक मार्केट पर रिसर्च की. कई लोगों से रिव्यू के बाद सामने आया कि लोग क्वालिटी और बिना किसी केमिकल वाला शरबत पसंद करते हैं, जिससे कि उनके शरीर को कोई नुकसान न हो. साथ ही बच्चे अलग-अलग फ्लेवर पसंद करते हैं. ऐसे में दोनों भाईयों ने मिलकर वैरायटी पर काम किया और 15 नए फ्लेवर बनाए. अब वह एक नहीं बल्कि 19 फ्लेवर के शरबत बेचते हैं.

शरबत में नहीं करते ग्लूकोज व सेकरीन का उपयोगहेमंत कटारिया ने बताया कि वे शरबत में ग्लूकोज, सेकरीन का उपयोग नहीं करते. नेचुरल फ्लेवर रखते हैं. शरबत में शक्कर की मात्रा कितनी रखनी है इसका भी खास ख्याल रखा जाता है. इसके चलते 68 सालों में उनके शरबत के स्वाद और क्वालिटी में कमी नहीं आई है. एक 750ML की शरबत की एक बोतल बनती है, जिससे 30 से 35 गिलास शरबत तैयार किया जाता है. एक बोतल की कीमत 165 रुपए से लेकर 350 रुपए तक है. वर्तमान में दोनों भाई मिलकर हर महीने करीब 10 हजार बोतल बेच रहे हैं. इनका सालाना टर्नओवर 40 लाख के करीब है.

authorimgMohd Majid

with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें

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गुलाब के फूलों से बना खास शरबत, गर्मी में पीने के लिए टूट पड़ते हैं लोग

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