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history of this Brahma temple is 1400 years old oldest inscription found

Last Updated:May 20, 2025, 16:29 IST

सिरोही के बसंतगढ़ में 1400 साल पुराना प्राचीन ब्रह्मा मंदिर क्षेत्र में आस्था का केंद्र है. यहां ब्रह्मा मंदिर के अलावा सूर्य मंदिर, भटेश्वर महादेव, सरस्वती और हनुमान मंदिर है. इस वजह से इसे पंचतीर्थ के रूप में…और पढ़ेंX
बसंतगढ़
बसंतगढ़ का ब्रह्मा मंदिर

हाइलाइट्स

बसंतगढ़ में 1400 साल पुराना ब्रह्मा मंदिर है.यहां पंचतीर्थ के रूप में पांच मंदिर हैं.625 ईस्वी का शिलालेख यहां मिला था.

सिरोही:- राजस्थान में पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के बारे में तो आने सुना होगा, लेकिन आज हम आपको सिरोही के 1400 साल पुराने ब्रह्मा मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. इस मंदिर के पास ही राजस्थान के सबसे पुराने शिलालेखों में से एक शिलालेख मिला था, जिससे इस स्थान के इतिहास का पता लग सका था.

पंचतीर्थ के रूप में प्रसिद्धजिले के पिंडवाड़ा तहसील के स्थित बसंतगढ़ में 1400 साल पुराना प्राचीन ब्रह्मा मंदिर क्षेत्र में आस्था का केंद्र है. यहां ब्रह्मा मंदिर के अलावा सूर्य मंदिर, भटेश्वर महादेव, सरस्वती और हनुमान मंदिर है. इस वजह से इसे पंचतीर्थ के रूप में जाना जाता है. मंदिर कमेटी के मीडिया प्रभारी पन्नालाल पुरोहित ने लोकल 18 को बताया कि सप्त ऋषियों में से एक वशिष्ठ ऋषि ने यहां सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था.

इस मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की पहली किरण पड़ती है. ये मंदिर और आसपास का इलाका पुरातत्व विभाग के अधीन है. इस क्षेत्र में काफी वट वृक्ष होने से इस गांव को वटनगर के नाम से भी जाना जाता था. वर्तमान मंदिर का वर्ष-2010 में राजपुरोहित समाज आबू पिंडवाड़ा ने जीर्णोद्धार करवाया. यहां बनी भोजनशाला में 5 हजार लोग एकसाथ भोजन कर सकते हैं. ज्येष्ठ वद छठी को यहां वार्षिक मेला लगता है.

625 ईस्वी का मिला था बसंतगढ़ शिलालेख इस मंदिर का परकोटा करीब 6 किलोमीटर तक बना हुआ है. ब्रह्मा मंदिर में दत्तात्रेय की प्राचीन मूर्ति भी स्थापित थी, जो समय के साथ खंडित हो गई थी. ब्रह्मा मंदिर के गर्भगृह में एक तरफ भगवान गणेश और एक तरफ हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है. मंदिर के पास ही एक कुंड से 625 ईस्वी का शिलालेख भी मिला था, जो राजा वर्मलात के समय का था. इसमें लिखा था कि राजा वर्मलात अर्बुद देश एक स्वामी थे.

यह लेख सामंती व्यवस्था का भी उल्लेख करता है. 628 विक्रम संवत में परिहार वंश का यहां शासन था. उस समय बसंतगढ़ राजधानी हुआ करती थी. यहां एक 646 ईस्वी का शिलालेख भी प्राप्त हुआ था. इसमें पीतल की मूर्ति भी निकली थी, जो अजमेर में स्थापित है. 7वीं शताब्दी में यहां गौरीवंश का शासन था. तब यहां के अधिकतर लोग जावर के सामोरी के आसपास बस गए थे.

गुजरात से मुहम्मद बेगड़ा ने किया हमलादिवंगत इतिहासकार गौरीशंकर ओझा की ओर से उल्लेखित इतिहास के अनुसार, यहां साल 1433 से 1468 तक महाराणा कुम्भा का शासन था. उनकी मृत्यु के बाद यहां गुजरात के मोहम्मद बेगड़ा ने आक्रमण कर यहां के मंदिरों को लूटकर तोड़-फोड़ की थी. बाद में सिरोही के देवड़ा चौहान वंश का यहां शासन रहा. तब यहां के कई मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया गया था.

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पुष्कर ही नहीं..यहां भी है ब्रह्मा जी का प्राचीन मंदिर, 1400 साल पुराना इतिहास

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