World Mental Health Day 2025: बड़े हादसों के बाद शरीर की चोट भरती है, मन की नहीं! मनोचिकित्सक से जानें कैसे करें इलाज

World Mental Health Day 2025: हर साल 10 अक्टूबर को दुनियाभर में ‘वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे’ यानी विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इस बार का थीम है, –आपदा या आपातकाल की स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच(Access to Services – Mental Health in Catastrophes and Emergencies). दरअसल, यह थीम भारत के लिए बेहद प्रासंगिक है. इस साल कई राज्यों में बाढ़, तूफान, सड़क हादसे या भूकंप जैसी आपदाएं आईं और अभी भी लोग बुरे हालात से गुजर रहे हैं. हालांकि इन घटनाओं के बाद बेसिक सुविधाएं तो जुटा दी जाती है, इलाज भी कर दिया जाता है, लेकिन सवाल उठता है कि जिन लोगों ने खोया है क्या उनके मन के भीतर चल रहे तूफान शांत हुए हैं?
इस पर दिल्ली के प्राइमस हॉस्पिटल की मनोचिकित्सक डॉ. साक्षी शर्मा(Dr. Sakshi Sharma, Consultant Psychiatrist, Primus Hospital) कहती हैं, “किसी भी आपदा या बड़े हादसे के बाद हम सबसे पहले जान बचाने, घायलों का इलाज करने या लोगों को खाना-पानी देने में लग जाते हैं. लेकिन जो चीज़ अक्सर भूल जाते हैं, वो है – लोगों का मेंटल हेल्थ (Mental Health). दरअसल, जो लोग इन बुरे और खतरनाक हालात से बच जाते हैं, उनके अंदर डर, चिंता, और कई बार गिल्ट जैसी भावनाएं जीवन भर रह जाती हैं. ये अंदरूनी चोटें शरीर के जख्मों से कहीं गहरी होती हैं.”
लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं ‘मन की चोट’ कोडॉ. साक्षी बताती हैं कि लोग सोचते हैं कि जब हालात ठीक हो जाएंगे, तो मन भी अपने आप ठीक हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं होता. जब मन टूटता है, तो उसका इलाज भी उतना ही जरूरी है जितना किसी शारीरिक बीमारी का.” वो कहती हैं, “मुश्किल समय में एक-दूसरे से जुड़ना, बात करना या बस किसी के साथ बैठना भी बहुत राहत देता है. कोशिश करें कि डर या दुख वाली खबरें लगातार ना देखें और जरूरत पड़े तो किसी काउंसलर या हेल्थ वर्कर से बात करें.”
मानसिक चोट दिल के लिए खतरनाकहृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास चोपड़ा(Dr. Vikas Chopra, Interventional Cardiologist) बताते हैं कि मानसिक तनाव का असर सीधे दिल पर पड़ता है. “जब लोग लंबे वक्त तक डर या चिंता में रहते हैं, तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, दिल पर दबाव आता है और हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है.”वो कहते हैं, “आपदा या इमरजेंसी की हालत में अगर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की देखभाल साथ में मिले, तो इंसान जल्दी संभलता है. ये ज़रूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को भी इमरजेंसी रेस्पॉन्स सिस्टम का हिस्सा बनाएं.”
कैसे बचाएं खुद को मानसिक तनाव या एंग्जायटी से–
किसी भरोसेमंद इंसान से बात करें, दिल हल्का होता है.
लगातार डर या दुख वाली खबरें देखने से बचें.
थोड़ा वक्त खुद को दें — टहलें, गाना सुनें या ध्यान लगाएं.
अगर ज़रूरत लगे तो बिना झिझक किसी विशेषज्ञ से मदद लें.
वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे 2025 पर याद रखें कि शरीरिक चोट तो भर जाते है, लेकिन मन की शांति लौटाने में वक्त और सहारा दोनों लगते हैं. इलाज तभी पूरा होता है जब हम शरीर और मन, दोनों से बेहतर महसूस करें, क्योंकि सच्ची जिंदगी वहीं से शुरू होती है, जहां मन दोबारा मुस्कुराना सीखता है.