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क्या मर्दो को भी होता है मेनोपॉज, ट्विंकल खन्ना के सवाल पर सैफ अली खान को लगा डर, पर होता क्या है यह, जानिए डिटेल

Last Updated:October 10, 2025, 23:53 IST

Man Menopause: क्या पुरुषों को भी एक उम्र के बाद महिलाओं की तरह मेनोपॉज से गुजरना पड़ता है. यही सवाल जब ट्विकल खन्ना ने सैफ अली खान से किया तो वे बेहद डर गए. लेकिन आखिर यह होता क्या है.क्या मर्दो को भी होता है मेनोपॉज, ट्विंकल खन्ना के सवाल पर सैफ अली खान को लगापुरुषों में महिलाओं की तरह मेनोपॉज होता है?

Man Menopause: महिलाओं का शरीर एक निश्चित चक्र से चलता है. इसे बायलॉजिकल साइकिल कहते हैं.युवावस्था की दहलीज पर आते ही 13 से 15 के बीच हर लड़कियों में हर महीने पीरियड्स शुरू हो जाते हैं. 28 दिन के बाद ब्लीडिंग होती है और तीन-चार दिन रहने के बाद मासिक चक्र खत्म हो जाता है. यह प्रेग्नेंसी को छोड़कर 45 से 50 साल की तक की उम्र तक अनवरत चलता रहता है.जब यह इस उम्र में मासिक उम्र बंद हो जाता है तो उसे मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति कहते हैं. पुरुषों में हर महीने ऐसा कुछ नहीं होता है. तो क्या पुरुषों में महावारी नहीं होने के बावजूज रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज होता है. यही सवाल जब ट्विंकल खन्ना ने सैफ अली खान से किया तो वे चौंक गए.

टू मच विद काजोल एंड ट्विंकल के लेटेस्ट एपिसोड में अक्षय कुमार और सैफ अली खान के साथ बैठीं ट्विंकल खन्ना और काजोल ने इस बार हंसी-मजाक से हटकर यही सवाल पूछ लिया. ट्विंकल ने पूछा, क्या मर्द कभी मेनोपॉज़ जैसी चीज़ों के बारे में सोचते हैं? बीच में ही टोकते हुए काजोल ने तुरंत कहा, पुरुषों को भी होता है, पुरुषों में होने वाले मेनोपॉज को एंड्रोपॉज कहा जाता है. सैफ अली खान इस पर चौंक गए. उन्होंने कहा कि हां, मुझे उम्र बढ़ने की चिंता होती है. मैं 55 साल का हो गया है और मुझे अकसर मौत को लेकर विचार आते हैं. आमतौर पर पुरुषों में एंड्रोपोज को लेकर बात नहीं की जाती है. लेकिन यह होता क्या है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

क्या होता है मेल मेनोपॉज पुरुषों में होने वाले मेल मेनोपॉज़ को मेल एंड्रोपॉज कहा जाता है. यह आमतौर पर महिलाओं में होने वाले मेनोपॉज की तरह नहीं है. जिस तरह मेनोपॉज में महिलाओं में हर महीने होने वाली ब्लीडिंग रुक जाती है, उस तरह पुरुषों में कुछ नहीं होता. लेकिन अंदरुनी प्रक्रियाओं में कुछ अंतर आ जाता है. हालांकि इसका प्रभाव उपर से कुछ लोगों पर ही पड़ता है. मुख्य रूप से 45-50 साल की उम्र के बीच में पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और कुछ अन्य हार्मोनों में धीरे-धीरे कमी आने लगती है. यह आमतौर पर पुरुषों के 40 या 50 वर्ष की उम्र के आसपास शुरू होता है. महिलाओं में मेनोपॉज़ जहां अचानक होता है, वहीं एंड्रोपॉज़ धीरे-धीरे, कई वर्षों में विकसित होता है. डॉक्टर इसे लेट-ऑनसेट हाइपोगोनाडिज़्म जैसे नामों से पुकारना पसंद करते हैं, क्योंकि यह कोई एक बार होने वाली जैविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक निरंतर चलने वाली स्थिति है. टेस्टोस्टेरोन का स्तर औसतन 35 वर्ष की उम्र के बाद हर साल लगभग 1 प्रतिशत की दर से कम होता जाता है, लेकिन इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं.

कैसे समझें कि पुरुषों में एंड्रोजेन आ गया है पुरुषों में एंड्रोपॉज का साथ हार्मोनल बदलाव के सूक्ष्म संकेत मिलते हैं. इसमें मुख्य रूप से पहले जैसा यौन उत्कंठा या यौन इच्छा नहीं होती. इसका सबसे बड़ा संकेत यह है कि आमतौर पर सुबह में अधिकांश पुरुषों में 35 साल तक मॉर्निंग इरेक्शन होता है. यानी तड़के सुबह उत्तेजना ज्यादा रहती है लेकिन यह धीरे-धीरे घटने लगता है. इसके साथ ही शरीर में थकान बढ़ जाती है और नींद में कुछ न कुछ गड़बड़ियां आने लगती है. साथ ही वजन भी बढ़ने लगता है. कुछ पुरुषों में मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है. वहीं मसल्स मास में कमी या वर्कआउट के बाद रिकवरी में देरी होने लगती है. हालांकि ये बदलाव धीरे-धीरे होते हैं, इसलिए इन्हें अक्सर सामान्य बुढ़ापे या थकान समझ लिया जाता है.

एंड्रोपॉज और मेनोपॉज में अंतरहर महिला जब मेनोपॉज के चरण तक पहुंचती हैं तो अचानक पीरियड्स रुक जाते हैं लेकिन हर पुरुष को एंड्रोपॉज का अनुभव नहीं होता. कुछ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर दशकों तक स्थिर रहता है जबकि दूसरों में तनाव, खराब आहार या पुरानी बीमारियां इसके स्तर को जल्दी घटा सकती हैं. यह एकदम से गिरावट नहीं बल्कि धीरे-धीरे ढलान की तरह होता है और यही कारण है कि यह अक्सर अनदेखा रह जाता है.

एंड्रोपॉज को कैसे मैनेज करें अगर किसी पुरुष में एंड्रोपॉज के प्रभावी लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर दवाओं से पहले जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं. जैसे स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, संतुलित आहार, अच्छी नींद, शराब का कम सेवन और तनाव का मैनेजमेंट. ये सभी कुदरती रूप से हार्मोन को संतुलित करने में मदद करते हैं. जिन पुरुषों में लगातार लक्षण बने रहते हैं और टेस्टोस्टेरोन का स्तर चिकित्सकीय रूप से कम होता है, उनके लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) फायदेमंद हो सकती है लेकिन यह केवल डॉक्टर की निगरानी में ही की जानी चाहिए.

Lakshmi Narayan

Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at . His role blends in-dep…और पढ़ें

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October 10, 2025, 23:53 IST

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