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हजार साल पुरानी वीरगाथा फिर उजागर… पनुगल्लू में मिला नायक शिलालेख, इतिहासकार भी रह गए दंग!

Last Updated:October 13, 2025, 22:00 IST

Hyderabad News: पनुगल्लू गांव के संग्रहालय में मिले 996 ईस्वी के वीरगल की पहचान कोत्ता तेलंगाना चरित्र बुंदम ने की, जो तेलंगाना की वीरता और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है.

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1000 साल पुरानी वीरगाथा... पनुगल्लू में मिला नायक शिलालेख, इतिहासकार भी दंग!वीरगाथा अभिलेख 

हैदराबाद. तेलंगाना के नलगोंडा जिले के पनुगल्लू गांव में एक स्मारक बनाया गया है. यह तेलंगाना हेरिटेज विभाग के संग्रहालय में संरक्षित एक प्राचीन नायक पत्थर, यानी वीरगल की पहचान कोत्ता तेलंगाना चरित्र बुंदम नामक संस्था ने की है. यह स्मारक उन योद्धाओं की स्मृति में बनाया गया था जो युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हुए थे.

इस शिलाखंड पर 996 ईस्वी (10वीं शताब्दी) का एक अभिलेख खुदा हुआ है, जो इसे तेलंगाना क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज बनाता है. शिला पर उकेरी गई मूर्ति में नायक को दाहिने हाथ में भाला और बाएं हाथ में ढाल थामे युद्ध के लिए आह्वान करते हुए दिखाया गया है. उसके पैरों के पास एक मृत शत्रु पड़ा है, जबकि एक दूसरा योद्धा उसका सामना करने के लिए खड़ा है. यह उस युग की कलात्मक शैली की श्रेष्ठता का उदाहरण प्रस्तुत करती है.

कैसी है वेशभूषानायक शिखा, कुंडल, हार, जनेऊ, कमरबंद, बाजूबंद, कंगन, पायल और अंगूठियों जैसे गहनों और आभूषणों से सुसज्जित है, जो उस काल के योद्धाओं की वेशभूषा और सामाजिक स्थिति को दर्शाता है. यह विवरण 10वीं शताब्दी में तेलंगाना क्षेत्र की सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है.

अभिलेख का सार21 पंक्तियों वाले इस तेलुगु भाषा के अभिलेख, जो तेलुगु-कन्नड़ लिपि में लिखा गया है, में उल्लेख है कि राजा अरियारिम्मा कुमार के शासनकाल में दावालंदी के मल्लया कोमांडीवराडिया के नेतृत्व में काकैय्या नामक एक नायक ने युद्ध में साहस दिखाया और वीरगति प्राप्त की. इस अभिलेख का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह उस काल की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को समझने में सहायक होता है.

शिलालेख की पहचान और योगदानकोत्ता तेलंगाना चरित्र बुंदम के संयोजक श्रीरामोजू हरगोपाल के अनुसार, इस शिलालेख को पावाकोजू के पुत्र सारस्वत्ता ने खुदवाया था. इस खोज में संस्था के सदस्य वोरुगंती वेंकटेश का विशेष योगदान रहा है, जिन्होंने एलेश्वरम से लाए गए इस नायक शिलाखंड की पहचान की थी.

तेलंगाना की विरासत का प्रतीकइस नायक पत्थर की खोज और पहचान तेलंगाना के समृद्ध इतिहास और वीरता की उसकी विरासत की ओर एक महत्वपूर्ण संकेतक है. यह अभिलेख न केवल तेलंगाना के इतिहास को समझने में मददगार साबित होगा बल्कि भारतीय पुरातत्व को भी एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगा.

Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें

Location :

Hyderabad,Telangana

First Published :

October 13, 2025, 22:00 IST

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1000 साल पुरानी वीरगाथा… पनुगल्लू में मिला नायक शिलालेख, इतिहासकार भी दंग!

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