Wealth Comes Home with Clay & Amla Flowers

Last Updated:October 19, 2025, 12:07 IST
राजस्थान अपनी लोक रीति-रिवाजों, आस्था और अनूठी परंपराओं के लिए पूरे देश में जाना जाता है. जब बात दीपावली की आती है, तो पाली जिले के कुछ गांवों में एक ऐसी परंपरा देखी जाती है, जो सोना-चांदी की चकाचौंध से दूर, प्रकृति और मिट्टी से जुड़ी है. पाली जिले के कुछ गांवों में दिवाली पर सोना-चांदी के बजाय मिट्टी और आवली के फूल लाकर धन लक्ष्मी की पूजा की जाती है. यह 150 साल पुरानी परंपरा प्रकृति से समृद्धि लाने और सामुदायिक आस्था का प्रतीक है.
यह परंपरा आज भी सादड़ी, बाली और देसूरी के अलावा सोमेसर गाँव में निभाई जाती है. धनतेरस से लेकर दिवाली के पर्व तक इसको एक अनूठी परंपरा के साथ मनाया जाता है. जहाँ देशभर में इस दिन सोना-चांदी और धातु खरीदने का चलन है, वहीं यहाँ महिलाएँ मिट्टी और ‘आवली’ के फूल घर लाती हैं. यह परंपरा है कि महिलाएँ सुबह जल्दी उठकर विधिवत पूजा करती हैं और मंगल गीत गाते हुए मिट्टी व आवली के फूल घर लाती हैं. मान्यता है कि जितनी अधिक मिट्टी व फूल घर लाए जाते हैं, उतना ही अधिक धन घर में आता है. इस दिन भगवान कुबेर और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है.
इस अनुष्ठान के लिए महिलाएं अल सुबह समूह बनाकर, सज-धज कर बर्तन लेकर उन स्थानों पर जाती हैं जहाँ मिट्टी व फूल उपलब्ध होते हैं. वे दीपक, कुमकुम, जल, अगरबत्ती और धान से मिट्टी की पूजा करती हैं. इस परंपरा में मिट्टी और आवली के फूलों को अत्यंत पवित्र माना जाता है.
सादड़ी निवासी मधु सुथार, लजू वैष्णव, और अयोध्या बाई वैष्णव की मानें तो इस मिट्टी व आवली के फूल को घर में लाने से लक्ष्मी का आगमन होता है और धन-वैभव का वास होता है. इसी लाल मिट्टी से घर के आंगन को लीपकर शुद्ध किया जाता है, जिससे माना जाता है कि घर में देवी लक्ष्मी का प्रवेश होता है और समृद्धि बढ़ती है.
सोमेसर कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में दिवाली के पर्व को शुरू होने के साथ ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस मौके पर ग्रामीणों ने आभूषणों और बर्तनों की खरीदारी की, साथ ही पूजा-अर्चना कर दीपोत्सव का शुभारंभ किया. महिलाओं ने गाँव के बाहर जंगल में खांदेली पर जाकर धरती और धनदेवी माता की विशेष पूजा-अर्चना की. उन्होंने वहीं से मिट्टी खोदकर बर्तनों में भरी और ‘आवल’ के फूलों से सजाकर सिर पर रखकर घर लाईं. यह धन लाने की एक पारंपरिक रस्म है, जो इस क्षेत्र की अनूठी संस्कृति को दर्शाती है.
इस पूरी परंपरा के पीछे मान्यता की बात करें तो इस रस्म के दौरान लाई गई मिट्टी से घर और प्रतिष्ठानों के बाहर लिपाई की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इससे घरों में लक्ष्मी का आगमन होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है. यह परंपरा गाँवों में सदियों से चली आ रही है. कई गाँवों और शहरों में दुकानों के बाहर भी ग्रामीण लाल मिट्टी डलवाते हैं, जिससे लक्ष्मी का वास बना रहे.
First Published :
October 19, 2025, 12:07 IST
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दिवाली पर इस गांव में सोना नहीं, मिट्टी से आती है लक्ष्मी! जानिए अनोखी परंपरा.