सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का आकर्षण और पर्यटन

Last Updated:November 23, 2025, 14:16 IST
सर्दियों की शुरुआत के साथ नानी झील विदेशी प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से जीवंत हो उठी है. नॉर्दर्न पिनटेल, रेडशैंक, टील और सैंडपाइपर जैसी प्रजातियां झील के शांत वातावरण में सुरक्षित आवास पाकर पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों के लिए अद्भुत दृश्य पेश कर रही हैं. नवंबर से मार्च तक यह स्थान प्रकृति और शोध के लिए विशेष महत्व रखता है.
सर्दियों की शुरुआत के साथ ही सीकर की नानी झील का प्राकृतिक सौंदर्य कई गुना बढ़ गया है, क्योंकि यहां उत्तरी यूरोप और साइबेरिया से आए प्रवासी पक्षियों ने बड़ी संख्या में डेरा डाल दिया है. ठंडी हवाओं और शांत पानी के बीच विदेशी परिंदों के झुंड पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं. सुबह से शाम तक झील के चारों ओर उड़ते पक्षियों की मधुर आवाज़ें वातावरण को और भी मनोरम बना रही हैं. यह मौसमी प्रवास न केवल पर्यावरणीय संतुलन का संकेत है, बल्कि स्थानीय जैव-विविधता का भी महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.

नानी लेक की खासियत यह है कि प्राकृतिक रूप से यह विदेशी पक्षियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुकी है. झील के किनारों पर बनाए गए वॉच टावर, टायस, फोटोग्राफी पॉइंट और इको ट्रैक आगंतुकों को नज़दीक से पक्षियों का अवलोकन करने का शानदार अवसर प्रदान करते हैं. ये सभी सुविधाएं पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए सर्दियों में यहां आना एक अनोखा अनुभव बना देती हैं. झील का शांत वातावरण और हरे-भरे पेड़-पौधों की छाया इन पक्षियों के लिए आरामदायक आवास का काम करती है.

पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय नानी झील में 100 से अधिक प्रजातियों के पक्षी मौजूद हैं. इनमें कई स्थानीय प्रजातियों के साथ-साथ विदेशी पक्षियों की विविधता भी देखने को मिल रही है. झील में जलमुर्गी की कई किस्में सबसे अधिक नज़र आ रही हैं, जो पानी की सतह पर तैरते हुए अपने भोजन की तलाश में सक्रिय रहती हैं. इनके साथ सैंडपाइपर और अन्य जलीय पक्षी भी बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं, जिससे झील का दृश्य बेहद जीवंत और सुंदर बन जाता है.
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पक्षी विशेषज्ञ रणजीत शेषमा ने बताया कि इस बार विदेशी प्रजातियों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में और अधिक बढ़ी है. नॉर्दर्न पिनटेल, कॉमन पोचार्ड, रेडशैंक, टील और सैंडपाइपर जैसी प्रजातियां यहां बड़ी मात्रा में देखी जा रही हैं. इन पक्षियों का यहां आना इस बात का संकेत है कि नानी झील का पारिस्थितिकी तंत्र लगातार बेहतर हो रहा है. स्वच्छ जल, पर्याप्त भोजन और सुरक्षित वातावरण इन पक्षियों को उपयुक्त निवास प्रदान करते हैं.

उन्होंने बताया कि उत्तरी गोलार्ध में शीत ऋतु के दौरान तापमान अत्यधिक गिर जाता है, जिसके कारण वहाँ की झीलें और जलस्रोत जमने लगते हैं. भोजन की उपलब्धता कम हो जाती है और पक्षियों के लिए जीवित रहना कठिन हो जाता है. इसी वजह से वे लंबी यात्राएं तय कर भारतीय उपमहाद्वीप की ओर रुख करते हैं. राजस्थान का मौसम इस दौरान पक्षियों के जीवित रहने के लिए अनुकूल रहता है, जिससे यहाँ की झीलें प्रवासी पक्षियों के लिए आकर्षक आश्रय स्थल बन जाती हैं.

नवंबर से मार्च तक का समय नानी लेक में प्रवासी पक्षियों की गतिविधियों का चरम सीजन माना जाता है. इन पांच महीनों में झील के आसपास रहने वाले स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही प्रकृति के इस अद्भुत प्रवास का आनंद उठाते हैं. पक्षियों का समूह अपनी विशेष आकृतियों में उड़ान भरता है, जो देखने में अत्यंत सुंदर दिखाई देती है. यह समय शोधकर्ताओं और पक्षी विज्ञान के छात्रों के लिए भी बहुत खास होता है, क्योंकि वे इस दौरान पक्षियों के व्यवहार, प्रवास पैटर्न और प्रजातियों की पहचान पर अध्ययन कर पाते हैं.

पक्षी विशेषज्ञ रणजीत शेषमा ने बताया कि प्रवासी पक्षियों के आगमन से नानी झील का पर्यावरणीय महत्व भी बढ़ जाता है. इनके आने से स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र को मजबूती मिलती है और कई स्थानीय प्रजातियों के बीच संतुलन बना रहता है. साथ ही यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी सक्रिय हो जाता है, जिससे स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ मिलता है. सर्दियों की ठंडी सुबहों में इन विदेशी मेहमानों को देखना किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए यादगार अनुभव बन जाता है, और यही नानी झील की असली खूबसूरती है.
First Published :
November 23, 2025, 14:16 IST
homerajasthan
सीकर के नानी झील में सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का आकर्षण और पर्यटन बढ़ा



