विश्व एड्स दिवस 2024: एचआईवी जागरूकता, इलाज और भारत की उपलब्धियां

Last Updated:December 01, 2025, 06:01 IST
World AIDS Day: हर साल 1 दिसंबर को ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाया जाता है.यह दिन केवल एक तारीख नहीं बल्कि एचआईवी-एड्स के खिलाफ एक विश्वव्यापी संघर्ष का प्रतीक है.आज भी बहुत से लोग इस बीमारी को लेकर कई भ्रांतियों और डर के साये में जी रहे हैं, इसलिए जागरूकता और सही जानकारी देना बेहद जरूरी हो गया है.

हर साल 1 दिसंबर को ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाया जाता है. यह दिन केवल एक तारीख नहीं बल्कि एचआईवी-एड्स के खिलाफ एक विश्वव्यापी संघर्ष का प्रतीक है. इस खास दिन का उद्देश्य एचआईवी और एड्स के बारे में लोगों तक सही जानकारी पहुंचाना, मन से डर और गलत धारणाएं दूर करना, जो लोग इस वायरस के साथ जी रहे हैं उन्हें प्यार और सहारा देना और जो लोग एड्स से जा चुके हैं उन्हें याद करना है.
आज भी बहुत से लोग इस बीमारी को लेकर कई भ्रांतियों और डर के साये में जी रहे हैं, इसलिए जागरूकता और सही जानकारी देना बेहद जरूरी हो गया है. इस साल की थीम है, “व्यवधान पर विजय, एड्स प्रत्युत्तर में सुधार.” इसका मतलब है कि हमें एचआईवी-एड्स से जुड़ी समस्याओं और बाधाओं पर काबू पाना है और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करनी हैं.
विश्व एड्स दिवस कब से मनाया जा रहा है?विश्व एड्स दिवस की शुरुआत साल 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी. तभी से हर साल पूरे विश्व में इस दिन पर लोग जागरूकता फैलाते हैं और इस बीमारी के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाते हैं. भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय और नाको (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) इसके मुख्य संचालक हैं, जो मुफ्त जांच शिविर, स्कूल कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम और मीडिया के माध्यम से संदेश पहुंचाते हैं.
लाइलाज बीमारी नहीं!एचआईवी कोई लाइलाज बीमारी नहीं रही. अगर समय पर जांच और उपचार किया जाए तो कोई भी व्यक्ति पूरी उम्र स्वस्थ रह सकता है. भारत ने इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है. पिछले कुछ वर्षों में एड्स से होने वाली मौतों में जबरदस्त कमी आई है. 2024 में एड्स से मरने वालों की संख्या लगभग 81 प्रतिशत घटकर सिर्फ 32,200 रह गई.
सरकार दे रही मुफ्त दवा18 लाख से ज्यादा एचआईवी पॉजिटिव लोगों को सरकार मुफ्त दवा (एआरटी) दे रही है, 94 प्रतिशत मरीज दवा नियमित ले रहे हैं और 97 प्रतिशत मरीजों में वायरस इतना दब चुका है कि वह न बीमार पड़ते हैं और न किसी को संक्रमण देते हैं.
दूसरे देशों के लिए मददगार बना भारतभारत ने सस्ती दवाओं के जरिए कई देशों की मदद की है और संयुक्त राष्ट्र के 95-95-95 लक्ष्य के करीब पहुंच चुका है, जिसका मतलब है अधिक से अधिक लोगों को पता होना, उनकी दवा उपलब्ध कराना और वायरस को दबाना.विश्व एड्स दिवस हमें याद दिलाता है कि समझ और सहानुभूति से हम इस बीमारी से लड़ सकते हैं.
About the Authorशारदा सिंहSenior Sub Editor
शारदा सिंह बतौर सीनियर सब एडिटर Hindi से जुड़ी हैं. वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्यू पर आधारित रिपोर्ट्स बनाने में एक्सपर्ट हैं. शारदा पिछले 5 सालों से मीडिया …और पढ़ें
First Published :
December 01, 2025, 06:01 IST
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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



