Uttarakhand Assembly Election 2022 how Sarita Arya joining BJP will impact congress in Vidhan sabha chunav

हल्द्वानी. उत्तराखंड चुनाव (Uttarakhand Chunav) को लेकर टिकट बंटवारे से पहले बीजेपी और कांग्रेस में शह-मात का खेल जारी है. दोनों पार्टियां एक दूसरे के नेताओं को तोड़ने में लगी हुई हैं. ताजा मामला कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य (Sarita Arya) से जुड़ा हुआ है. हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) की कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के बीच उन्हें बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है. विधानसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत का जाना बीजेपी के लिए एक झटका माना जा रहा है. लेकिन हरक की कांग्रेस में ज्वाइनिंग से पहले ही बीजेपी ने कांग्रेस को इससे भी बड़ा झटका दे दिया है. प्रदेश की प्रमुख महिला दलित नेताओं में शुमार और नैनीताल से पूर्व विधायक सरिता आर्य ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
सरिता आर्य की महिलाओं और दलितों के बीच में अच्छी पकड़ मानी जाती है. सौम्य स्वभाव की सरिता आर्या पहले से ही कह रही थीं कि अगर बीजेपी उन्हें नैनीताल से अपना प्रत्याशी बनाती है तो वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो जाएंगी. सोमवार को सरिता आर्य ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की मौजूदगी में राजधानी देहरादून में बीजेपी का दामन थाम लिया. सरिता ने दावा किया कि 2022 में नैनीताल से बीजेपी का ही विधायक बनेगा. पार्टी जिसे टिकट देगी वह उसके साथ खड़ी होंगी.
उन्होंने बीजेपी ज्वाइन करते ही यशपाल आर्य पर करारा हमला बोला. सरिता ने कहा कि यशपाल आर्य दलितों में एक नाम बताएं जिसका उन्होंने भला किया है. सरिता ने आरोप लगाया कि यशपाल दलितों को हक दिलाने वाले नहीं बल्कि हक मारने वाले नेता हैं.
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बीजेपी ने कांग्रेस को ऐसे दिए घाव
कुछ दिन पहले बाजपुर से विधायक और कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने नैनीताल से विधायक अपने बेटे संजीव आर्य के साथ बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. यशपाल 2017 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे. उनके कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद कांग्रेस कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष हरीश रावत दावा कर रहे थे कि कांग्रेस से जो दलित वोट 2017 के विधानसभा चुनाव में छिटक गया था, वह यशपाल आर्य के पार्टी में वापस आने के बाद कांग्रेस को ही मिलेगा.
हरीश रावत कांग्रेस को दलितों की हितैषी पार्टी भी करार दे रहे थे. हालांकि टिकटों के ऐलान से ठीक पहले बीजेपी ने न सिर्फ कांग्रेस के प्रमुख दलित चेहरे को तोड़ डाला. वैसे महिला वोटरों को साधने के लिए भी सरिता आर्य एक प्रमुख चेहरा साबित हो सकती हैं.
सरिता आर्य साल 2012 से 2017 तक नैनीताल से विधायक रहीं. साल 2017 में वह कांग्रेस के टिकट पर नैनीताल विधानसभा से चुनाव लड़ी थी, जबकि उस चुनाव में बीजेपी ने यशपाल आर्य के बेटे संजीव को अपना प्रत्याशी बनाया था. मोदी लहर के चलते इस चुनाव में संजीव आर्य के हाथ बड़ी जीत लगी थी.
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हालांकि तकरीबन 2 महीने पहले संजीव आर्य अपने पिता संग बीजेपी छोड़कर दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसके बाद एक तरफ जहां नैनीताल में बीजेपी के सामने प्रत्याशी का संकट था, वहीं कांग्रेस से 2012 और 2017 में चुनाव लड़ चुकीं सरिता आर्या का टिकट कटना तय माना जा रहा था.
सरिता आर्य महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. ऐसे में बीजेपी ने सरिता को शामिल कर एक तरफ जहां एक दलित चेहरे को पार्टी में जगह दी है, वहीं उनके महिला होने का फायदा भी पार्टी को मिलेगा.
हालांकि सरिता के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी के अन्य दावेदारों को तगड़ा झटका लगा है. कुछ दिन पहले बीजेपी ने 2017 में पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले और बाद में कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं आर्या को भी दोबारा पार्टी में शामिल कर लिया. हेम पार्टी में शामिल होते ही खुद को नैनीताल से बीजेपी का उम्मीदवार करार दे रहे थे, लेकिन अब सरिता आर्य की बीजेपी में एंट्री से हेम की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है, क्योंकि सरिता ने साफ कहा था कि अगर बीजेपी उन्हें टिकट देती है तो ही वह बीजेपी में शामिल होंगी.
तकरीबन दो दिन पहले सरिता आर्या की बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी से भी मुलाकात हुई थी. तभी से यह तय माना जा रहा था कि नैनीताल से सरिता आर्य ही बीजेपी की कैंडिडेट होंगी.
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