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jaipur news maha shivratri festival 2022 shiv pooja | महाशिवरात्रि पर 11 साल बाद गजकेसरी योग, भोलेनाथ का अभिषेक करने से मिलेगा विशेष फल

कई साल बाद महाशिवरात्रि विशेष योग-संयोग लेकर आ रही है। इस बार महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र में कुमार योग, परिघ योग, सिद्धि योग व शिव के साथ गजकेसरी योग में मनाई जाएगी।

जयपुर

Published: February 27, 2022 01:59:48 pm

जयपुर। कई साल बाद महाशिवरात्रि विशेष योग-संयोग लेकर आ रही है। इस बार महाशिवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र में कुमार योग, परिघ योग, सिद्धि योग व शिव के साथ गजकेसरी योग में मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों की माने तो वर्षों बाद इस तरह के योग निर्मित हुए हैं। इसलिए इस शिवरात्रि पर भोलेनाथ की अराधना का महत्व कई गुणा अधिक बढ़ गया है। इस शिवरात्रि पर पूजा-अर्चना करने एवं व्रत रखने वाले भक्तों पर भोले बाबा असीम कृपा बरसाएंगे। भक्त शिवजी का गन्ने का रस, दूध, गंगाजल सहित पंचामृत से अभिषेक कर बील्व पत्र, बेर, मोगरी, गाजर, आंक-धतुरा, भांग इत्यादि अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। शहर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर, झारखंड महादेव मंदिर, चमत्कारेश्वर महादेव मंदिर, धूलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।

महाशिवरात्रि पर 11 साल बाद गजकेसरी योग, भोलेनाथ का अभिषेक करने से मिलेगा विशेष फल

महाशिवरात्रि पर 11 साल बाद गजकेसरी योग, भोलेनाथ का अभिषेक करने से मिलेगा विशेष फल

पं. सुरेश शास्त्री ने बताया कि सोमवार को त्रयोदशी तिथि रात 3.15 बजे तक है। इसके बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी जो मंगलवार रात एक बजे तक रहेगी। इस लिए महाशिवरात्रि का पर्व शिव की तिथि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी धनिष्ठा नक्षत्र में कुमार योग, परिघ योग, सिद्धि योग व शिव के साथ गजकेसरी योग में मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय कालीन परिघ योग सुबह 11.18 बजे तक रहेगा। इसके बाद शिव योग प्रारंभ होगा। वहीं शाम 4. 31 के बाद गजकेसरी महायोग भी बन रहा है जो महाशिवरात्रि को खास बना रहा हैं। ये योग करीब 11 साल बाद बन रहा है। इस योग में की गई पूजा का साधक को कई गुणा अधिक फल मिलेगा। इस दिन भोलेनाथ का अभिषेक करने से कालसर्प योग के दोष का प्रभाव कम होगा।

चार प्रहर की पूजा मुहूर्त :
यदि शिवरात्रि को चार प्रहर में चार बार पूजा करें तो इसका विशेष फल मिलता है। मंगलवार की रात्रि में निशीथ काल में 50 मिनट तक सर्वश्रेष्ठ शुभ समय है। निशीथ काल की पूजा रात्रि 12.14 से लेकर एक बजकर चार मिनट तक है।

प्रथम प्रहर-शाम 6.24 से रात्रि 9.29 बजे तक
द्वितीय प्रहर रात्रि 9.29 से 12.35 बजे तक
तृतीय प्रहर- 12.35 से 3.37 बजे तक
चतुर्थ प्रहर -3.37 से सुबह 6.54 बजे तक

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