Indian restaurant in Budapest serves free meals to evacuees | Russia Ukraine Crisis: बुडापेस्ट में भारतीय रेस्तरां लोगों को खिला रहा मुक्त भोजन

Russia Ukraine Crisis: बुडापेस्ट में सबसे पुराना भारतीय रेस्तरां महाराजा भारतीय छात्रों को फ्री में भोजन खिला रहा है।रेस्तरां के मालिक कुलविंदर सिंह झाम ने बताया कि एक धर्मनिष्ठ सिख होने के नाते उन्होंने मुफ्त भोजन परोसने के लिए तुरंत एक लंगर (सामुदायिक रसोई) खोला। झाम ने कहा कि उनके पास लगभग एक दर्जन कर्मचारी हैं। वे सुबह 4 बजे उठ जाते है और भोजन सामग्री लाना शुरू करते है।
नई दिल्ली
Published: March 04, 2022 11:34:08 am
Russia Ukraine Crisis: यू्क्रेन और रूस के बीच जारी जंग में आम लोगों काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। वहां पर फंसे स्थानीय लोगों के साथ विदेशियों के पास खाने पीने चीजें खत्म हो गई, उनके सामने यह एक बड़ा संकट है। इस मुश्किल समय में बुडापेस्ट में सबसे पुराना भारतीय रेस्तरां महाराजा हंगरी की राजधानी के रास्ते युद्धग्रस्त यूक्रेन से निकाले जा रहे भारतीय छात्रों को फ्री में खाना खिला रहा है। रेस्तरां के मालिक कुलविंदर सिंह झाम ने कहा कि एक धर्मनिष्ठ सिख होने के नाते उन्होंने मुफ्त भोजन परोसने के लिए एक लंगर (सामुदायिक रसोई) खोला। झाम ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि बुडापेस्ट पहुंचे वालों की संख्या लगतार बढ़ती जा रही है। मंगलवार को 300 छात्र बुडापेस्ट पहुंचे। बुधवार दोपहर को हमने 800 के लिए भोजन तैयार किया। वहीं रात में 1500 अन्य छात्र आए है।

indian restaurant in budapest
सुबह 4 बजे से करते है भोजन की व्यवस्था
झाम ने कहा कि उनके पास लगभग एक दर्जन कर्मचारी हैं और खाना पैक करना एक समस्या थी लेकिन दोस्तों और पड़ोसियों ने स्वेच्छा से मदद की। मैं सुबह 4 बजे उठता हूं और भोजन के लिए सामग्री लाना शुरू करता हूं। झाम ने कहा कि छात्रों की दुर्दशा ने उन्हें छू लिया है और उनमें से कई मिलनसार लोगों को देखकर रोने लगते हैं।
भूखे छात्रों को भोजन की जरूरत
यूरोप में 40 साल से रह रहे झाम ने 1994 में महाराजा की स्थापना करने वाले ने कहा कि छात्र भारतीय दूतावास से मदद की उम्मीद कर रहे थे। दूतावास ने शुरुआत में सैंडविच जैसी जैसी खाने की चीजें उपलब्ध करवा रहा है। लेकिन भूखे और पीड़ित छात्रों को गर्म पके हुए भोजन की आवश्यकता होती थी।
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यूक्रेन के लिए लड़ने के लिए पैसे और राइफल की पेशकश
झाम ने बताया कि छात्रों को भयानक अनुभवों से गुजरना पड़ा। कुछ लड़कों ने कहा कि उन्हें यूक्रेन के लिए लड़ने के लिए पैसे और राइफल की पेशकश की गई थी। सभी को सीमा पर सैनिकों ने रोक दिया क्योंकि यूक्रेन 16 से 60 वर्ष की आयु के पुरुषों को देश छोड़ने की अनुमति नहीं देता है। छात्रों को यह साबित करना था कि वे यूक्रेन के नागरिक नहीं हैं। उनमें से अधिकांश ने हंगरी के लिए ट्रेनों में सवार होना पड़ा। यह सोचकर कि रूसी रुक सकते हैं और रोमानिया और पोलैंड के लिए जाने वाली बसों को जब्त कर सकते हैं।
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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने की सराहना
उन्होंने कहा कि हंगरी ने बिना वीजा के प्रवेश की अनुमति दी और पंजीकरण केंद्र स्थापित किए। ट्रेन का किराया भी समाप्त कर दिया गया है। हवाई अड्डे पर एक टर्मिनल केवल भारतीय छात्रों के लिए खोला गया है। झाम ने कहा कि वे तुहिन और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिले, जिन्होंने लंगर स्थापित करने के विचार की सराहना की। सरकार छात्रों को निकाल रही है। उनमें से एक हजार शुक्रवार को रवाना होने वाले हैं।
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