Assistant Professor Drawing and Painting Examination- 2020 | Assistant Professor Drawing and Painting Examination- 2020 – आयोग ने जारी किया लिखित परीक्षा का परिणाम
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से मंगलवार को सहायक आचार्य.ड्रॅाइंग एवं पेंटिंग प्रतियोगी परीक्षा 2020 के तहत 70 अभ्यर्थियों को अस्थाई रूप से साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया गया है। इस सबंध में विस्तृत सूचना आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
जयपुर
Updated: April 12, 2022 09:52:05 pm
सहायक आचार्य ड्रॉइंग एवं पेंटिंग परीक्षा- 2020
आयोग ने जारी किया लिखित परीक्षा का परिणाम
70 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए अस्थाई रूप से सफल
जयपुर, 12 अप्रेल। राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से मंगलवार को सहायक आचार्य.ड्रॅाइंग एवं पेंटिंग प्रतियोगी परीक्षा 2020 के तहत 70 अभ्यर्थियों को अस्थाई रूप से साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया गया है। इस सबंध में विस्तृत सूचना आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
आयोग सचिव एचएल अटल ने बताया कि अस्थाई रूप से सफल अभ्यर्थियों को विस्तृत आवेदन पत्र आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर पूर्ण रुप से भरकर मय समस्त शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक तथा वांछित प्रमाण.पत्रों की फोटो प्रति के 26 अप्रेल शाम 6 बजे तक आयोग में भिजवाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अभ्यर्थियों की पात्रता की जांच विज्ञापन की शर्तों व नियमों के अनुसार किए जाने पर पात्र पाए गए अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया जाएगा। साक्षात्कार की तिथि के संबंध में अभ्यर्थियों को यथा समय अवगत करा दिया जाएगा।

Assistant Professor Drawing and Painting Examination- 2020 – आयोग ने जारी किया लिखित परीक्षा का परिणाम
लोकतंत्र के केंद्र में है बंधुभाव: प्रो.अग्रवाल
संस्कृत विश्वविद्यालय में भारतीय लोकतंत्र और अंबेडकर पर व्याख्यान
जयपुर। लोकतंत्र में व्यक्त बंधुता का तात्पर्य सभी धर्मों के लोगों में आपसी बंधुभाव बनाए रखने से है, लेकिन मौजूदा वक्त में लोगों को धर्म के नाम पर आपस में लड़ा कर सामाजिक बंधुता पर संकट खड़े किए जा रहे हैं। डॉ.भीमराव अंबेडकर का मानना था कि लोकतंत्र का आधार विविधता में एकता से है और यह एकता धार्मिक मामलों में नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर है। यह बात मंगलवार को प्रो.पुरुषोत्तम अग्रवाल ने जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में कही। संघ लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य प्रो.अग्रवाल ने कहा कि सामाजिक सुधार का जो आंदोलन स्वामी रामानंद ने चलाया था। उनके नाम से स्थापित विश्वविद्यालय में अंबेडकर पर चर्चा होनी ही चाहिए। अंबेडकर अध्ययन केंद्र की ओर से हुए समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ.अनुला मौर्य ने कहा कि जब तक पूंजीवाद कायम है तब तक सही मायनों में न स्वतंत्रता संभव है और न समानता। लोकतंत्र का चिरस्थायी बनाए रखने के लिए वे सारी चीजें खत्म करनी होगी जिनसे असमानता पैदा होती है। कुलसचिव रंजीता गौतम ने धन्यवाद देते हुए अंबेडकर अध्ययन केंद्र से नए पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाने को कहा। व्याख्यान का संचालन शास्त्री कोसलेंद्रदास ने किया।
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