jaipur | खाली होने की दहलीज पर प्रदेश का पहला हाथीगांव, आखिर क्यों जा रहे हाथी, जाने वजह
जयपुर के हाथीगांव का मामला, वन विभाग के अफसर दे रहे परिवहन की स्वीकृति
जयपुर
Published: April 25, 2022 01:50:25 pm
देवेंद्र सिंह राठौड़
जयपुर. प्रदेश का एकमात्र हाथीगांव खाली होने की दहलीज पर खड़ा है। कारण कि यहां से हाथियों को दूूसरे राज्य में भेजने का सिलसिला थम नहीं रहा है। इन दिनों 5 हाथियों को गुजरात भेजने की तैयारी चल रही है। हैरत की बात है कि न्यायालय में कई हाथियों को लेकर प्रकरण होने के बाद भी वन विभाग धड़ल्ले से स्वीकृतियां जारी कर रहा है। मामला यह है कि हाथियों को हाथी गांव से धार्मिक उपयोग का हवाला देकर तीन साल के लिए स्वीकृति लेकर गुजराज भेजा जा रहा है। यहां करीब 15 हाथी अब तक भेजे जा चुके है। अब 5 हाथी और भेजे जाने की तैयारी हो रही है। हाथी मालिकों ने इनके परिवहन को लेकर वन विभाग से स्वीकृति मांगी तो, वन विभाग ने भी हरी झंडी दे दी। सामने आया कि वन विभाग ने परिवहन की अर्जी मिलते ही एक मेडिकल बोर्ड का गठन करवा उक्त 5 हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी करा लिया। हालांकि इसमें मेडिकल बोर्ड में शामिल वन्यजीव चिकित्सकों ने दो हाथियों को अनफिट भी साबित कर दिया। अन्य हाथियों को भेजने की तैयारी चल रही है। जल्द इन्हें भेज दिया जाएगा।

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रात के समय भेजते हाथी सामने आया कि हाथियों को रात के समय ट्रक में लोड कर भेजा जाता है। अब तक ऐसा ही हुआ है। इनको भेजने का सिलसिला बरकरार है। यही चलता रहा तो रिसायतकाल से चली आ रही हाथीगांव की परंपरा समाप्त हो जाएगी। अब यहां महज 87 हाथी ही रह गए हैं। कोरोना काल से पहले सवा सौ से ज्यादा हाथी थे।
डीएफओ बोले- अभी नहीं दी स्वीकृति इस मामले में डीएफओ अजय चित्तौड़ा का कहना है कि अभी हाथियों के परिवहन की स्वीकृति नहीं दी है। हाथी मालिकों से न्यायालय की स्वीकृति मांगी गई है। आश्चर्य है कि स्वीकृति नहीं देनी थी तो, उक्त हाथियों को स्वास्थ्य परीक्षण क्यों कराया गया। इतना ही नहीं, इससे पहले भेजे गए हाथियों की न्यायालय से स्वीकति क्यों नहीं मांगी गई। ऐसे में इसमें वन विभाग के उच्च अधिकारियों की भी मिली भगत की बू आ रही है।
हाथी मालिक बेखौफ, सरकार से ले रहे फंड इस मामले में हाथी मालिक पूरी तरह से बेखौफ नजर आ रहे हैं। वे सरकार से राहत फंड के साथ पूरी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं फिर भी हाथी गुजरात भेज रहे हैं। यही चलता रहा था वो दिन दूर नहीं जब हाथी गांव खाली हो जाएगा।
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