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सामाजिक समरसता के प्रतीक है पुलिस मित्र-उपायुक्त परिस देशमुख

निराला समाज@जयपुर। पुलिस उपायुक्त नार्थ परिस देशमुख ने कोरोना काल सहित सामाजिक क्षेत्र में दी गई सेवाओं को देखते हुए पुलिस थाना माणक चौक में सौ से उपर पुलिस मित्रों का सम्मान करते हुए कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में पुलिस मित्र सामाजिक समरसता के प्रतीक है। पुलिस मित्र एक ऐसा सेतू है जो छत्तीस कोम में शांति सद्भाव निभाने में पुलिस प्रशासन की तीसरी आंख बना हुआ है।

एसीपी महावीर सिंह ने कहा कि पुलिस मित्र कानून व्यवस्था बनाए रखने में ही अहम भुमिका का निर्वाह नहीं करते बल्कि आपदा के दौरान भी पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते है। निष्कामभाव से किए जा रहे इनके योगदान की जितनी तारीफ की जाए वह कम है।

थानाधिकारी माणकचौक यादव ने कहा कि सूचना एवं प्रोधोगिकी क्षेत्र में सहायता के साथ पुलिस मित्रों का सहयोग चिकित्सीय, पर्यावरण,जागरूकता,पीडित सहायता, वैवाहिक विवाद सहित अन्य क्षेत्रों में अमूल्य योगदान रहता है। इसके अलावा रात्रिगश्त के दौरान भी सदा इनका सहयोग काबिलेतारीफ है। धार्मिक उत्सवों,मेले एवं जुलूस आदि में भी शांति बनाए रखने में मुलिस मित्रों की भुमिका को नकारा नहीं जा सकता है।

इस अवसर पर प्रेम शर्मा को कोरोना काल के दौरान पत्रकारिता के साथ विशिष्ट सामाजिक सेवाओं के प्रति कर्तव्य परायणता को देखते हुए सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि इस दौरान प्रेम शर्मा की माताजी अस्पताल में भर्ती थी,लेकिन इन्होनें माताजी के साथ कोरोना काल में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी शहर के प्रति निभाने में भी कोई चुक नहीं की।


सम्मानित होने वालों पुलिस मित्रों में डा.ज्ञानेश हल्दिया, पदम सिंह चौधरी, ताहिर नकवी,सुरेन्द्र कश्यप,हरीश केडिया,विरेन्द्र राणा,श्रीमती चन्द्रकांता गुर्जर,ललित शर्मा सहित सौ से उपर पुलिस मित्रों को कोरोनाकाल के दौरान दी गई सेवाओं एवं अन्य सेवाओं के लिए प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस उपायुक्त नार्थ परिस देशमुख, एसीपी महावीर सिंह,थानाधिकारी माणकचौक सुरेन्द्र यादव सहित अन्य अधिकारियों ने पुलिस मित्रों को प्रमाण पत्र (प्रशस्ति-पत्र) देकर सम्मानित किया।


कार्यक्रम के अंत में थानाधिकारी माणक चौक सुरेन्द्र यादव ने कहा कि पुलिसमित्रों की भूमिका कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ शहर में होने वाले कार्यक्रमों में हर थाना क्षेत्रों में इस कदर सक्रियता से निभाई जा रही है कि आज पुलिस मित्र समाज एवं पुलिस के लिए रीढ ही हड्डी से कम नहीं है। अगर यह नहीं हो तो पुलिस प्रशासन वर्तमान परिपेक्ष्य में पुलिस मित्रों के बिना किसी विकलांग से कम नहीं है।

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