Story Of Girija From Raipur – She News : बिना वेतन मरीजों की सेवा कर रहीं दिव्यांग ‘गिरिजा’

जज्बा: 35 वर्षीय गिरिजा जलछत्री, जो कि चालीस फीसदी दिव्यांग हैं। पिछले एक माह से वे रोजाना कोविड केयर सेंटर में मरीजों की देखभाल के लिए आती हैं। बड़ी बात यह है कि वे इस कार्य के लिए किसी तरह का वेतन नहीं ले रहीं।

सरिता दुबे. रायपुर. वह कोई फ्रंटलाइन वर्कर नहीं हैं, न ही डॉक्टर हैं और न ही नर्स, लेकिन फिर भी इस कठिन समय में कोविड के मरीजों की देखभाल में जुटी हुई हैं। ये हैं रायपुर की रहने वाली 35 वर्षीय गिरिजा जलछत्री, जो कि चालीस फीसदी दिव्यांग हैं। पिछले एक माह से वे रोजाना कोविड केयर सेंटर में मरीजों की देखभाल के लिए आती हैं। बड़ी बात यह है कि वे इस कार्य के लिए किसी तरह का वेतन नहीं ले रहीं। वे कहती हैं कि मैं कोई महान कार्य नहीं कर रही हूं, यह तो हर व्यक्ति का कत्र्तव्य होता है कि वह इंसानियत का फर्ज निभाए।
दरअसल, यहां के इंडोर स्टेडियम को 330 बेड का कोविड अस्पताल बनाया गया है और गिरिजा यहां पहले दिन से ही मरीजों के रजिस्ट्रेशन के साथ काउंसलिंग के कार्य में लगी हुई हैं। वे कहती हैं कि जब डॉक्टर और नर्सेज इस मुश्किल घड़ी में अपना फर्ज निभा रहे हैं, तो हमारा भी महामारी के खिलाफ इस जंग में छोटा-सा योगदान होना चाहिए। गिरिजा 12वीं कक्षा तक पढ़ी हैं। एक एनजीओ के साथ काम करते हुए उन्हें काउंसलिंग करना भी सीख लिया था। वे कहती हैं कि यह अनुभव अब यहां मरीजों के काम आ रहा है। जब मरीज यहां भर्ती होने के लिए आते हैं तो उनके लिए दवाओं और इलाज के साथ भावनात्मक संबल भी बेहद जरूरी होता है।
मिलती है आत्मिक संतुष्टि
गिरिजा कहती हैं कि मेरी दिव्यांगता कभी मेरे काम के आड़े नहीं आई, क्योंकि मैंने हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखा। जब यहां मरीज मदद चाहते हैं और उस समय अगर मैं उनकी सहायता करती हूं, तो मुझे आत्मिक संतुष्टि का अनुभव होता है और कठिन समय में किसी को भावनात्मक संबल देना आपके अंदर भी सकारात्मकता लाता है। गिरिजा बताती हैं कि यहां स्टाफ कम था, तो पीपीई किट पहनकर बेड तैयार करना, मरीजों को ऑक्सीजन लगाना, बीपी व ऑक्सीजन स्तर की जांच करने का काम भी किया।