Rajasthan

Bharatpur News: भपंग वादक गफरुदीन की विदेशों में भी धाक, कला को जीवित रखने अगली पीढ़ी को सिखा रहे है गुर

रिपोर्ट- ललितेश कुशवाहा

भरतपुर. देश के कोने-कोने में एक से बढ़कर एक कलाकार हैं, जो विदेशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन अब उनकी कला के महत्व को समझने वाले कम ही लोग बचे हैं. एक ऐसे ही कलाकार हैं भरतपुर जिले के कैथवाड़ा कस्बा निवासी गफरुदीन मेवाती जोगी. जिन्हें भपंग वादक के साथ-साथ लोक गायन विधा पंडून के कड़े में महारथ हासिल है. वह अपनी कला का प्रदर्शन देश के विभिन्न प्रांतों सहित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कर चुके हैं.

उनका कहना है कि जिस तरह से पहले इस कला को लेकर लोगों से सम्मान और प्यार मिलता था, अब वह दूर होता जा रहे हैं. फिर भी वह इस कला को जीवित रखने के लिए अपने बेटे के बाद अपने पोतों को गुर सिखा रहे हैं. गफरुदीन देश के पीएम नरेंद्र मोदी और राजस्थान सरकार की ओर से सम्मानित हो चुके हैं.

आपके शहर से (भरतपुर)

  • Barmer: बनना था डॉक्टर और वकील, लेकिन सांसारिक जीवन त्याग अब  2 बहनें बनेंगी साध्वी

    Barmer: बनना था डॉक्टर और वकील, लेकिन सांसारिक जीवन त्याग अब 2 बहनें बनेंगी साध्वी

  • Karauli News: एक लाठी के दम पर फिट है यह शिक्षक, युवाओं के लिए है प्रेरणा

    Karauli News: एक लाठी के दम पर फिट है यह शिक्षक, युवाओं के लिए है प्रेरणा

  • Love Story Part 01 : 12 साल की उम्र में गायत्री शादीशुदा मानसिंह को दिल दे बैठीं लेकिन मां सख्त खिलाफ थीं

    Love Story Part 01 : 12 साल की उम्र में गायत्री शादीशुदा मानसिंह को दिल दे बैठीं लेकिन मां सख्त खिलाफ थीं

  • Sriganganagar News: आवारा पशुओं का खौफ, भाई के साथ चल रही 4 साल की बच्ची पर सांड ने किया हमला

    Sriganganagar News: आवारा पशुओं का खौफ, भाई के साथ चल रही 4 साल की बच्ची पर सांड ने किया हमला

  • Kota News: कोटा-बूंदी खेल महोत्सव 1 मई से, इन खेलों का होगा आयोजन, ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

    Kota News: कोटा-बूंदी खेल महोत्सव 1 मई से, इन खेलों का होगा आयोजन, ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

  • Love Story part 02 : महारानी गायत्री देवी ने लंदन में गुपचुप कर ली सगाई, गुस्साई मां ने कहा - नहीं हो सकती शादी

    Love Story part 02 : महारानी गायत्री देवी ने लंदन में गुपचुप कर ली सगाई, गुस्साई मां ने कहा – नहीं हो सकती शादी

  • छात्र क्‍यों हो रहे हैं डिप्रेशन के शिकार, युवाओं को गलत कदम उठाने से कैसे रोका जाए?

    छात्र क्‍यों हो रहे हैं डिप्रेशन के शिकार, युवाओं को गलत कदम उठाने से कैसे रोका जाए?

  • Ramadan 2023: रोजेदारों के लिए अल्लाह का इनाम है ईद-उल-फितर, जानिए कौन है इसका हकदार

    Ramadan 2023: रोजेदारों के लिए अल्लाह का इनाम है ईद-उल-फितर, जानिए कौन है इसका हकदार

  • Kota news: आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में औषधीय पौधों का महत्व, एक्सपर्ट से जानें फायदे

    Kota news: आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में औषधीय पौधों का महत्व, एक्सपर्ट से जानें फायदे

  • Summer Clothes : गर्मियों में बदला कपड़ों का ट्रेड, इन कपड़ों की बढ़ी खूब डिमांड, जानिए कीमत

    Summer Clothes : गर्मियों में बदला कपड़ों का ट्रेड, इन कपड़ों की बढ़ी खूब डिमांड, जानिए कीमत

  • Udaipur News : क्या आपने देखा फॉरेस्ट स्कूल, यहां गुरुकुल पद्धति से दी जाती है आधुनिक शिक्षा

    Udaipur News : क्या आपने देखा फॉरेस्ट स्कूल, यहां गुरुकुल पद्धति से दी जाती है आधुनिक शिक्षा

1993 में किया विदेश में पहला शो

अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार गफरुदीन ने बताया कि यह कला उन्होंने अपने पिता बुद्ध सिंहृ जोगी से सीखी थी. वह अपने पिता के साथ गांव-गांव जाकर लोगों का मनोरंजन करते थे. साल 1990 में भपंग और पंडून के कड़े की कला की प्रस्तुति को लेकर बृज महोत्सव के तहत पहला शो किया था. उसके बाद उन्हें इस कला में एक अलग पहचान मिली और देश-विदेश के शो के लिए आमंत्रण आने लगे. उनका विदेश में पहला शो 1993 में भारत महोत्सव के तहत ऑस्ट्रेलिया में हुआ था. उन्होंने बताया कि भारत का प्रत्येक राज्य और जिला ऐसा कोई अछूता नहीं रहा है, जहां वह अपनी कला का प्रदर्शन नहीं कर चुके हो. अब तक वह लंदन, पेरिस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में प्रस्तुति दे चुके है.

कला को जीवित रखने के लिए पोतो को सिखा रहे है गुर

उनका कहना है कि जिस तरह से पहले इस कला को सम्मान और प्यार मिलता था, वह कम हो गया है. इसकी मुख्य वजह युवा पीढ़ी का सोशल मीडिया पर समय बिताना है. एक समय ऐसा था जब लोग इस कला को सुनने के लिए बेसब्री से इंतजार करते थे, लेकिन अब यह कला सरकारी कार्यक्रमों तक ही सीमित रह गई है. इस कला को बचाना बेहद जरूरी है. युवा पीढ़ी को अपनी भारतीय कला के महत्व को समझना चाहिए, जिससे इसे विलुप्त होने से बचाया जा सके. उनका कहना है कि इस कला से परिवार तो नहीं चलता, लेकिन पीढ़ियों की इस विरासत को जीवित रखने के लिए बेटे शाहरुख खान को सिखाने के बाद अब अपने दोनों पोतों दानिश जोगी और बंदील जोगी को निपुण कर रहे हैं.

ऐसे बनता है भपंग

सबसे पहले लौकी के तुम्बे के पैंदे पर पतली खाल मढ़ी जाती है. खाल के बीच में प्लास्टिक का तार पिरोया जाता है. इस तार पर लकड़ी के गुटखे से तान देकर विभिन्न प्रकार की आवाज निकाली जाती है, जो लोगों को मंत्रमुंग्ध कर देती है.

Tags: Bharatpur News, Latest hindi news, Rajasthan news

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj