A human story for elderly pair son not given food court decision | कलयुगी बेटे ने 82 वर्षीय दंपत्ति को घर से निकाला, कोर्ट ने दिलाया वापस मकान, बेटे को दी चेतावनी
82 वर्षीय सैन्य अधिकारी ने की थी अपील, कोर्ट ने बेटे को दिया मकान खाली करने के आदेश, कहा… बुढ़ापे की लाठी ने ही माता-पिता को किया बेघर, ससम्मान घर सौंपें
जयपुर
Updated: April 14, 2022 05:58:43 pm
कमलेश अग्रवाल / जयपुर। ‘वो जहर देता तो सबकी नजर में आ जाता इसलिए उसने यूं किया कि दवा न दी।’ यानी वृद्ध माता-पिता का खाना देना बंद करना, पड़ोसियों या रिश्तेदारों से मिलने नहीं देना, रात के समय अचानक अकारण दरवाजा खटखटाना मानसिक तौर पर उत्पीडि़त करना है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने कहा बुढ़ापे की लाठी ने ही बुढ़ापे को बेघर किया और अमानवीय तरीके से प्रताडि़त किया। एसडीओ आमेर ने सेवानिवृत्त 82 वर्षीय सैन्य अधिकारी व उनकी पत्नी की अपील पर थानाधिकारी मुरलीपुरा को एक माह में सामान सहित ससम्मान मकान का कब्जा दिलवाने का आदेश दिया है।
बजरंग बिहार मुरलीपुरा निवासी उम्मेद सिंह पूनिया और उनकी पत्नी सबकौर देवी ने वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिकरण तथा एसडीओ कोर्ट में परिवाद दिया था। सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने कहा कि उन्हें उनके बेटे ने मकान से बेघर कर दिया। जिस भूमि पर मकान बना है उसने अपने पैसे से खरीदी थी और उस पर अपने रहने के लिए मकान बनवाया था।
पहले उसका बेटा अलग रहता था लेकिन वह उनके साथ आकर रहने लगा और उनके साथ बुरा सलूक करता है। वहीं बेटे ने आरोपों से नकारते हुए कहा कि मकान बनाने में उसने भी सहयोग दिया था और उसका कभी भी अपने माता-पिता के साथ बुरा व्यवहार नहीं रहा है।
अधिकरण के पीठासीन अधिकारी उपखंड अधिकारी (आमेर) प्रियव्रत सिंह चारण ने आदेश में कहा कि बुजुर्ग दंपती को उनके मकान का कब्जा सम्मान सहित सौंपा जाना चाहिए। पीठासीन अधिकारी ने मुरलीपुरा थानाधिकारी को एक माह में कब्जा दिलवाने का आदेश दिया है।
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