अभिषेक मनु सिंघवी दलील देते रह गए, सुप्रीम कोर्ट पास कर दिया ऑर्डर, हरियाणा के वकील बोले- झूठ बोला जा रहा – abhishek manu singhavi busy in argument supreme court passed order haryana say falsehood spreading delhi water crisis
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए बुधवार को पूछा कि इस समस्या से निपटने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं? कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की वेकेशन ने दिल्ली सरकार से कहा कि यदि वह टैंकर माफिया से नहीं निपट सकती तो वह शहर की पुलिस से टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहेगी. दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकीलों में अभिषेक मनु सिंघवी भी शामिल थे. सिंघवी ने कोर्ट के समक्ष तथ्य रखे, लेकिन शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को हलफनामा दाखिल कर टैंकर माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में बताने को कहा.
कोर्ट ने कहा कि यदि उसी पानी को टैंकर से पहुंचाया जा सकता है, तो उसे पाइपलाइन के माध्यम से क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा सकता? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि बिजली चोरी रोकने के लिए कड़े कानून हो सकते हैं तो पानी की बर्बादी रोकने के लिए कानून क्यों नहीं हो सकते. दो जजों की पीठ ने कहा, ‘यदि हिमाचल प्रदेश से पानी आ रहा है तो दिल्ली में कहां जा रहा है? यहां इतनी चोरी हो रही है, टैंकर माफिया काम कर रहे हैं तो आपने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई की है? यदि आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो हम इस मामले को दिल्ली पुलिस को सौंप देंगे. लोग परेशान हैं. टैंकर से वही पानी आ रहा है, लेकिन पाइपलाइन में पानी नहीं है.’
क्या बोले अभिषेक मनु सिंघवी?दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील शादान फरासत ने अदालत की चिंता को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि पानी की बर्बादी रोकने के लिए कार्रवाई की गई है, जिसमें उन स्थानों पर आपूर्ति बंद करना भी शामिल है जहां इसकी तत्काल आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा पानी के टैंकर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. साथ ही आगे कहा कि जहां तक पुलिस का सवाल है, हमें खुशी होगी कि पुलिस इस मामले (पानी माफिया पर लगाम लगाने के लिए) में कार्रवाई करे. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने UYRB (अपर यमुना रिवर बोर्ड) द्वारा साल 2018 में पारित एक आदेश का हवाला दिया, जिसके तहत दिल्ली को 1013 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए. सिंघवी ने आगे कहा, ‘हालांकि, 1013 क्यूसेक पानी के मुकाबले, वास्तविक प्राप्त पानी 800-900 क्यूसेक के बीच है.’
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हरियाणा ने झूठ बोलने का लगाया आरोपयूवाईआरबी ने एक हलफनामे में अदालत को बताया था कि हिमाचल प्रदेश को यह साबित करना होगा कि वह दिल्ली के लिए वादे के मुताबिक 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ रहा है. हरियाणा सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील श्याम दीवान ने दावा किया कि गलत बयान दिए जा रहे हैं. यमुना जल बोर्ड विशेषज्ञ निकाय है जो जल वितरण के मुद्दे पर निर्णय लेता है और अब वह इसे फिर से खोलने की कोशिश कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया आदेशसुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें पानी की बर्बादी को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी जाए. हलफनामा गुरुवार को होने वाली अगली सुनवाई से पहले दाखिल किया जा सकता है. शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें हरियाणा को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को दिए गए अतिरिक्त पानी को छोड़े, ताकि जलसंकट को दूर किया जा सके.
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FIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 20:13 IST