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ITBP ने बंद किए लाल आतंक के दरवाजे, नक्सलियों के लिए पनाहगार रहे अबूझमाड़ के घने जंगल में बनाया 9वां बेस कैम्प

नई दिल्ली/रायपुर. भारत में नक्सलवाद के खात्मे के लिए निर्धारित मार्च 2026 की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के सुदूर अबूझमाड़ क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्य योजना का कार्यान्वयन शुरू कर दिया है, जिसके तहत आईटीबीपी नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए क्षेत्र में एक सामरिक अड्डा स्थापित कर रही है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 44वीं बटालियन ने 28 नवंबर को नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगभग 140 किलोमीटर दूर लंका गांव में एक ऑपरेशन बेस स्थापित किया.

छत्तीसगढ़ में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई’ को बताया, “यह आईटीबीपी शिविर दक्षिण छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में अबूझमाड़ के जंगलों में स्थापित किया गया है और इसकी लोकेशन रणनीतिक लिहाज से बहुत अहम है, क्योंकि यह छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है. इसकी दूसरी तरफ महाराष्ट्र का नक्सल प्रभावित गडचिरोली जिला है.”

अबूझमाड़ क्षेत्र नारायणपुर जिले में लगभग 4,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. सुरक्षा एजेंसियों और छत्तीसगढ़ प्रशासन ने इसे प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के गढ़ के रूप में वर्गीकृत किया है. अबूझमाड़ के घने जंगल भाकपा (माओवादी) के कार्यकर्ताओं और कमांडरों के लिए पनाहगाह रहे हैं. इन जंगलों में लगभग 237 गांव बसे हुए हैं, जिनमें करीब 35,000 लोग, मुख्यतः आदिवासी, रहते हैं.

केंद्रीय और राज्य पुलिस बलों ने क्षेत्र में सुरक्षा आधार बनाने के लिए समन्वित प्रयास किए हैं, ताकि वहां सरकारी मशीनरी स्थापित की जा सके और विकास कार्यों की शुरुआत की जा सके. अधिकारी ने कहा, “लंका आईटीबीपी बेस ने नक्सलियों के लिए महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार को प्रभावी ढंग से सील कर दिया है, जिससे महाराष्ट्र के गडचिरोली और छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिलों के बीच उनकी आवाजाही एवं आपूर्ति शृंखला बाधित हो गई है.”

उन्होंने बताया कि यह राज्य के नक्सली हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में गहराई तक पहुंचने के लिए एक व्यापक कार्य योजना के तहत पिछले तीन महीनों में अबूझमाड़ क्षेत्र में आईटीबीपी की ओर से स्थापित नौवां ऐसा शिविर है. अबूझमाड़ क्षेत्र में अन्य आईटीबीपी शिविर एडजुम, इदवाया, एडर, कुडमेल, जटलूर, धोबे, डोडी मार्का और पदमेटा में स्थित हैं.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि ये सभी शिविर नक्सलियों की ओर से तेलंगाना, महाराष्ट्र और अबूझमाड़ के बीच लंबे समय से इस्तेमाल किए जा रहे गलियारे को बंद करने में भी सुरक्षा बलों की मदद करेंगे. उन्होंने बताया कि आईटीबीपी का लंका कंपनी ऑपरेटिंग बेस (सीओबी) इंद्रावती नदी से लगभग छह किलोमीटर उत्तर में, बीजापुर जिले में बेदरे के सामने स्थित है.

अधिकारी ने कहा, “यह शिविर बेदरे में महत्वपूर्ण, लेकिन लंबे समय से अटके पुल के निर्माण में ठेकेदारों और श्रमिकों की मदद करेगा, जिससे क्षेत्र में यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और अबूझमाड़ के प्रमुख गांवों तक पहुंच आसान हो जाएगी.” आईटीबीपी ने नक्सल विरोधी अभियान के लिए छत्तीसगढ़ में लगभग आठ बटालियन तैनात की हैं.

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