About 04 months before republic day tableaux process starts every year

पिछले कुछ सालों से गणतंत्र दिवस पर झांकी को लेकर विवाद होते रहे हैं. इस बार भी बंगाल और केरल ने गणतंत्र दिवस पर उनके राज्यों की झांकी शामिल नहीं करने को राजनीतिक पूर्वग्रह से जोड़ने का आरोप लगाया है. बंगाल जहां अपनी झांकी में सुभाष चंद्र बोस को शामिल करने वाली थी तो केरल में राज्य के नारायण गुरु झांकी को निकालने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया.
गणतंत्र दिवस पर तमाम राज्यों की झांकी निकालने को खासी प्रमुखता मिलती रही है. वैसे ये झांकी आमतौर पर संबंधित राज्य की संस्कृति, विकास और कला को पेश करती है. चूंकि ये झांकियां एक सीमित संख्या में ही निकाली जाती हैं, लिहाजा इन्हें तय करने का काम एक समिति करती है.
विशेषज्ञ समिति करती है चयन
पेंटिंग, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्यकला के क्षेत्र में ‘प्रमुख व्यक्तियों’ वाली एक समिति, अन्य लोगों के बीच, झांकी का चयन या अस्वीकार करती है.प्रमुख व्यक्तियों की विशेषज्ञ समिति बहु-स्तरीय प्रक्रिया में झांकियों का चयन करती है.
बताया जाता है कि 2022 गणतंत्र दिवस परेड के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. इनमें से 21 को शॉर्टलिस्ट किया गया.

गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर निकलती हुई झांकी. (शटरस्टाक)
कब और कैसे शुरू होती है प्रक्रिया
हर साल सितंबर में रक्षा मंत्रालय सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों से अगले साल के गणतंत्र दिवस के लिए झांकी के प्रस्ताव मांगता है. इन प्रस्तावों को इस बार 10 दिनों के अंदर भेजने के लिए कहा था. प्रस्ताव आने के बाद चयन प्रक्रिया अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से शुरू होती है.
समिति कैसे करती है मूल्यांकन
विशेषज्ञ समिति की बैठकें करके झांकी के प्रस्तावों का मूल्यांकन करती है. प्रस्ताव के साथ राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों को स्केच/डिजाइन भेजने होते हैं, जिनका मूल्यांकन समिति करती है. समिति को अगर डिजाइन पसंद आ गए तो वो फिर यथाशीघ्र प्रस्तावों के 3डी मॉडल जमा करने के लिए कहा जाता है. लेकिन इसके बाद भी चयन पक्का नहीं होता. कोविड प्रतिबंधों के कारण इस साल झांकियों की संख्या और कम कर दी गई है.
समिति यह ध्यान रखती है कि यदि झांकी के साथ कोई पारंपरिक नृत्य शामिल है तो वह लोक नृत्य होना चाहिए. उसकी वेशभूषा और संगीत वाद्ययंत्र पारंपरिक और प्रामाणिक होना चाहिए. झांकियों के चयन पर अपनी अंतिम मुहर लगाने से पहले चयन समिति झांकी के दृश्य अपील, उसके विचार, विवरण और जनता पर पड़ने वाला उसके प्रभाव के बारे में अच्छी तरह जांच करती है.
नवंबर के आखिर या दिसंबर के पहले या दूसरे सप्ताह तक आमतौर पर झांकियों को तय कर दिया जाता है. इस बार इस प्रक्रिया में देर हुई है. झांकी बनाने के लिए राज्यों को मोटे तौर पर एक महीने का समय ही मिल पाता है.
इस बार कितनी झांकियां
इस बार जिन झांकियों को गणतंत्र दिवस मे मौके पर राजपथ पर दिखाया जा सकता है उसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 12 और संवैधानिक संस्थानों की नौ झांकियां शामिल हैं. गणतंत्र दिवस परेड के लिए इस साल की थीम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह थीम तैयार की गई है.
बंगाल की पिछले सालों में कितनी झांकी
केरल की झांकी 2018 और 2021 में नहीं दिखाई गई तो तमिलनाडु की झांकी पिछले 06 साल में 2018 को छोड़कर पांच बार शामिल हुई. पश्चिम बंगाल की झांकी 2016, 2017, 2019 और 2021 में राजपथ पर दिखाई गई. वर्ष 2016 में बंगाल की झांकी को सर्वश्रेष्ठ भी माना गया.
क्या झांकी का आकार-प्रकार भी तय होता है
झांकी जमीन से 45 फीट से लंबी, 14 फीट से चौड़ी और 16 फीट से ऊंची नहीं होनी चाहिए. रक्षा मंत्रालय प्रत्येक झांकी के लिए एक ट्रैक्टर और एक ट्रेलर देता है, जिस पर झांकी आसानी से फिट हो सके. इसके लिए अतिरिक्त ट्रैक्टर या ट्रेलर या कोई अन्य वाहन नहीं दिया जाता है. हालांकि, प्रतिभागी राज्य या संस्थाएं चाहें तो रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए ट्रैक्टर या ट्रेलर को अन्य वाहनों से बदल सकते हैं, लेकिन कुल संख्या दो वाहनों से अधिक नहीं होनी चाहिए.
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