बबूल का पेड़ ही नही, पत्ते-फल भी है सेहत का खजाना, दांत, पेट और त्वचा की हर परेशानी का इलाज, जानें फायदें

Last Updated:May 09, 2025, 18:12 IST
बबूल के फायदें: बबूल का पेड़ आयुर्वेद में उपयोगी है. इसकी छाल, गोंद, पत्ते, बीज और फल दांतों और त्वचा की समस्याओं में लाभकारी हैं. राजस्थान में बबूल की फलियां औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं.
बबूल का पेड़ आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया है. इसका उपयोग कई दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. इसकी छाल, गोंद, पत्ते, बीज और फल सभी बहुत उपयोगी हैं. इसका उपयोग दांतों की देखभाल और त्वचा संबंधी समस्याओं में किया जाता है. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में बबूल के पेड़ भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. बबूल की फलियां अप्रैल से जून तक रहती हैं. इनमें भी कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बबूल की फलियों को सुखाकर पशुओं को खिलाती हैं और बेचती भी हैं.
आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि बबूल के पेड़ की तना, जड़ और फल औषधीय उपयोग में लिया जाता रहा है. इस पेड़ में कई औषधीय गुण मौजूद हैं. बबूल की छाल को चबाकर दांतों को मजबूत बनाया जा सकता है. मसूड़ों से खून आने पर इसे लगातार चबाने से समस्या दूर हो जाती है.
उन्होंने बताया कि बबूल की छाल का पेस्ट त्वचा संबंधी समस्याओं के निदान में बहुत उपयोगी माना जाता है. पिंपल्स होने पर बबूल की छाल लगाने से आराम मिलता है. इसके अलावा, बबूल की फली का चूर्ण पेट दर्द और दस्त की समस्या में तुरंत आराम दिलाता है. आयुर्वेद में बबूल की फलियां बहुत उपयोगी मानी जाती हैं. वहीं, बबूल की पत्तियां और छाल शरीर के घावों को भरने में सहायक होती हैं.
बबूल की फली की सब्जी पारंपरिक राजस्थानी व्यंजनों में शामिल होती है. यह सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर होती है. इसकी सब्जी बनाने के लिए सबसे पहले बबूल की कोमल फली को धोकर 1-2 इंच के टुकड़ों में काट लें.
यदि फली रेशेदार हो तो बीज निकाल दें और नरम भाग ही लें. इसके बाद एक बर्तन में थोड़ा पानी डालकर उसमें कटी हुई फली और थोड़ा नमक डालें और 5-7 मिनट तक मध्यम आंच पर उबालें और फिर छानकर पानी हटा दें. इसके बाद कड़ाही में सरसों का तेल गर्म करें.
उसमें हींग और जीरा डालें. जब जीरा चटकने लगे, तब कुचला हुआ लहसुन और हरी मिर्च डालें और हल्का सुनहरा भून लें. अब हल्दी, लाल मिर्च और धनिया पाउडर डालकर 1 मिनट तक भूनें. अब उबली हुई फली डालकर अच्छी तरह मसालों में मिलाएं और ढ़ंककर 5-7 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें. जब फली मसाले के साथ अच्छी तरह मिल जाए और हल्की भून जाए, तो गैस बंद कर दें. यह सब्जी बाजरे या ज्वार की रोटी के साथ बेहद स्वादिष्ट लगती है. इसे छांछ या कढ़ी के साथ भी परोसा जा सकता है.
homelifestyle
दांत मजबूत, पेट साफ और पिंपल्स गायब, बबूल के पेड़ के हैं गजब के फायदे, जानें