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Covid 19 Virus Oxygen Shortage Tree Cm Ashok Gehlot JDA Nagar Nigam – पेड़ हमें प्राणवायु देते हैं…कोरोना संक्रमण में सरकार को समझ आई अहमियत

किसी ने खूब लिखा है…कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन, जब तक उलझे न कांटों से दामन…। यह लाइनें हमारी सरकारों पर सटीक बैठती हैं। हरियाली की बात करने वाली सरकारों ने इसे बढ़ाने के नाम पर खजाने से लाखों करोड़ रुपए खर्च किए, मगर अफसर और हुक्मरानों की जेब में ही यह पैसा जाता रहा और हरियाली की जगह कंक्रीट के जंगल विकसित होते गए।

जयपुर।

किसी ने खूब लिखा है…कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन, जब तक उलझे न कांटों से दामन…। यह लाइनें हमारी सरकारों पर सटीक बैठती हैं। हरियाली की बात करने वाली सरकारों ने इसे बढ़ाने के नाम पर खजाने से लाखों करोड़ रुपए खर्च किए, मगर अफसर और हुक्मरानों की जेब में ही यह पैसा जाता रहा और हरियाली की जगह कंक्रीट के जंगल विकसित होते गए। मगर अब कोरोना के चलते देश और प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है। तो इन्हीं सरकारों को पेड़-पौधों की अहमियत नजर आने लगी है।

स्वायत्त शासन विभाग ने निकाय क्षेत्रों में लगे पेड़-पौधों को बचाने की अपील करते हुए सभी निकायों को निर्देश दिए हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर लगे पेड़-पौधों की ढंग से सार संभाल की जाए। उन्हें नियमित पानी मिले, इसकी पुख्ता व्यवस्था हो। विभाग ने इसके पीछे बड़ा कारण कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स के उपयोग को बताया है। विभाग का कहना हे कि बड़ी संख्या में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स का उपयोग किया जा रहा है। यह कंसंट्रेटर्स वातावरण की ऑक्सीजन को काम ले रहे हैं। ऐसे में वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इसकी कमी की पूर्ति पेड़ पौधों के माध्यम से की जा सकती है।मौजूदा गर्मी के मौसम में पौधे लगाना आसान नहीं है। ऐसे में जो पेड़ पौधे लगे हैं उन पर ध्यान देने की जरूरत है।

करोड़ों रुपए खर्च, मगर हरियाली कहीं नहीं

जयपुर की बात की जाए तो हर साल नगर निगम और जेडीए करोड़ों रुपए हरियाली के नाम पर खर्च करते हैं, लेकिन सार—संभाल के अभाव में हरियाली कहीं नजर नहीं आती है। जयपुर के कुछ बड़े पार्कों को छोड़ दिया जाए तो कॉलोनियों में बने पार्कों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। हर साल बारिश के सीजन में 70 हजार से एक लाख तक पौधे लगाने का प्लान बनाया जाता है, मगर ये पौधे कहीं नजर नहीं आते हैं।


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