AI and deep fakes alerted about Lok Sabha elections, tech companies united for free and fair elections | लोकसभा चुनाव का असर, AI और डीपफेक ने कस ली कमर, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए एकजुट हुई Tech कंपनियां

50 से ज्यदा देशों में होने वाले हैं चुनाव
वर्ष 2024 में 50 से ज्यादा देशों में चुनाव (Election) होने वाले हैं। इसी के चलते दुनिया की कुल आबादी का आधे से ज्यादा हिस्सा इस साल अपनी सरकारें चुनने जा रहा है। ऐसे में इन दिग्गज टेक कंपनियों ने AI के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए यह फैसला लिया है। इस समझौते की घोषणा म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस (Munich Security Conference) के दौरान की गई। गूगल (Google), एडोबी (Adobe), अमेजन (Amazon) , मेटा(Meta), आईबीएम (IBM) ,माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), ओपन एआई, टिकटॉक (Tik Tok) और एक्स (X) मिलकर ऐसे कंटेंट को रोकेंगी।
डीपफेक वीडियो, ऑडियो और Photo पर लगाएंगे लगाम
AI से बने डीपफेक वीडियो, ऑडियो और फोटो को लेकर चिंता व्यक्त की। चुनाव में एआई की मदद से वोटरों को प्रभावित किया जा सकता है। वोटर को समझ नहीं आएगा कि यह कंटेंट असली है या नकली। यह समझौता राजनीती में एआई के दुरूपयोग के खिलाफ बड़ा कदम साबित होगा। इस समझौते में चैटबॉट डेवलप करने वाली कंपनी एंथ्रोपिक (Anthropic) एवं इंफ्लेक्शन एआई (Inflection AI), चिप डिजायनर आर्म होल्डिंग्स (Arm Holdings), वॉइस क्लोन स्टार्टअप एलेवेन लैब्स (ElevenLabs), ट्रेंड माइक्रो (TrendMicro) और सिक्योरिटी कंपनी मैकेफी (McAfee) भी शामिल हुई।
स्वतंत्र और निपक्ष चुनाव के लिए एकजुट हुई तक कंपनियां
मेटा (Meta) के ग्लोबल अफेयर्स प्रेसिडेंट निक क्लेग ने कहा कि एआई से पैदा हो रही चुनौतियों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। कोई एक टेक कंपनी, सरकार या सिविल सोसाइटी आर्गेनाईजेशन इससे जंग नहीं लड़ सकते। इसके खिलाफ सभी को मिलकर एक साथ काम करना होगा। बड़ी कंपनियों के साथ आने से हमें AI के गलत इस्तेमाल और डीपफेक से निपटने में मदद मिल सकेगी। हम सभी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं।
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