Rajasthan
Ajmer dargah controversy mahrana pratap sena claims shiva temple | Ajmer Dargah: जानें क्या है महाराणा प्रताप सेना का पत्र, जिससे शुरू हुआ विवाद, देखें सुरक्षा इंतजाम
ट्वीट के जरिए किया गया दावा दिल्ली स्थित महाराणा प्रताप सेना की ओर से ट्वीट कर सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हिन्दू प्रतीक चिह्न होने का दावा किया गया। इसमें कथित तौर पर हिन्दू देवी-देवताओं से जुड़े चिह्न बताए गए। दरगाह की खिड़कियों पर स्वस्तिक के निशान बने हुए हैं। सेना के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार दावा कर रहे हैं कि अजमेर की हजरत ख़्वाजा गरीब नवाज दरगाह एक शिव मंदिर था जिसे दरगाह बना दिया गया।

अतिरिक्त जाप्ता तैनात
दरगाह की सुरक्षार्थ हाड़ी रानी बटालियन तैनात है, लेकिन संवेदनशील मामला होने से प्रशासन ने तत्काल पुलिस का अतिरिक्त जाप्ता तैनात किया। प्रशासनिक और पुलिस टीम ने परिसर का जायजा लिया और लोगों से शांति और धैर्य बनाए रखने की अपील की।

विश्व प्रसिद्ध है दरगाह
सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह विश्व प्रसिद्ध है। ख्वाजा साहब 11 वीं शताब्दी में ईरान के संजर प्रांत से अजमेर आए थे। उन्होंने अजमेर में रहकर इबादत की थी। प्रतिवर्ष रजब माह में छह दिन तक उनका सालाना उर्स भरता है। इसमें भारत सहित विभिन्न देशों के जायरीन शिरकत करते हैं। दरगाह परिसर में ख्वाजा साहब की पत्नी सहित कई लोगों की मजारें हैं।

अजमेर से सूफीयत की शुरुआत
दुनिया में सूफीवाद की शुरुआत अजमेर से मानी जाती है। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ही सूफीवाद के जनक माने जाते हैं। उनके बाद हजरत निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी सहित अन्य सूफी संतों ने सूफी विचारधारा को आगे बढ़ाया।

