National

पति को सजा देने के लिए नहीं गुजारा भत्ता, अतुल सुभाष मामले के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहीं ये 8 बातें


हाइलाइट्स

अतुल सुभाष सुसाइड मामले से पूरा देश सकते में है इस बीच एक अन्य मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जरूरी बातें कहीं हैंभत्ते का मतलब पति को सजा देना नहीं, बल्कि कई फैक्टर्स ध्यान में रखने जरूरी

Supreme Court News:बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष के पत्नी की प्रता ड़ना से तंग आकर खुदकुशी मामले के बीच एक मामले की सुनवाई में पत्नी को भरण पोषण के मसले पर कोर्ट ने कहा कि  भरण-पोषण की रकम इतनी होनी चाहिए कि पति पर भार न पड़े, लेकिन पत्नी को भी ठीक से जीवन जीने की व्यवस्था हो. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कोई ऐसा फिक्स नियम नहीं है जो ज्यों का त्यों लागू कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा है कि क्रूरता कानून ( cruelty law) का गलत फायदा उठाने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि इस मामले में अदालत ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अधिकार क्षेत्र के अनुसार, दंपति का विवाह ‘पूरी तरह से टूट चुका था’, लेकिन पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता देने की जरूरत थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले (Kiran Jyot Maini v Anish Pramod Patel) का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जैसा हमने किरण के मामले में कहा था, स्थायी भरण-पोषण की रकम ऐसी होनी चाहिए कि वह पति को सजा देने वाली नहीं हो, बल्कि पत्नी को एक अच्छा जीवनस्तर देने वाली हो.

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि पत्नी को भरण-पोषण की रकम इतनी मिलनी चाहिए कि वह सम्मान के साथ जीवन जी सके, लेकिन यह रकम इतनी भी न हो कि पति को आर्थिक दिक्कत होने लगे. भरण-पोषण का उद्देश्य यह है कि पत्नी के ‘जीवनस्तर’ में गिरावट न आए और वह ठीक से अपनी जिंदगी जी सके.

इन 8 बातों के आधार पर पत्नी गुजारा भत्ता का फैसला लिया जाना जरूरी:

1. पति और पत्नी, दोनों, पक्षों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा जाए.2. पत्नी और आश्रित बच्चों की उचित जरूरतें क्या हैं, किस प्रकार की हैं, यह देखा जाए.3. दोनों पक्षों की व्यक्तिगत योग्यताएं और रोजगार (खाने कमाने) का क्या स्टेटस है, यानी पति और पत्नी की शिक्षा और नौकरी की स्थिति का भी ध्यान रखा जाए.4. ऐलिमनी के आवेदक के पास स्वतंत्र आय या संपत्ति है या नहीं, उसे देखा जाए.5. ससुराल यानी शादी के बाद वाले घर में पत्नी के लाइफ स्टैंडर्ड को ध्यान में रखा जाए.6. परिवार की जिम्मेदारियों के लिए पत्नी ने अगर नौकरी या करियर छोड़ा है, तो उसे ध्यान में रखा जाए.7. यदि पत्नी काम नहीं कर रही है, तो उसके मुकदमे के खर्चे वाजिब होने चाहिए।8. पति की आर्थिक स्थिति, उसकी आय, अन्य भरण-पोषण की जिम्मेदारियां और कर्ज का ध्यान रखा जाए.

बता दें कि अतुल के सुसाइड नोट, जिसमें उसकी पत्नी और ससुराल वालों द्वारा उत्पीड़न का जिक्र था, ने देश में दहेज कानूनों के दुरुपयोग पर भारी फोकस ला दिया है. बता दें कि अतुल सुभाष ने मरने से पहले एक घंटे का एक वीडियो बनाया और अपनी आपबीती साझा की जिससे पूरा देश सकते में है. वीडियो में अतुल सुभाष ने पत्नी निकिता, सौरल वाले और फैमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक समेत पांच लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है.

Tags: Jaunpur news, UP latest news

FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 08:22 IST

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj