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दिल्ली वायु प्रदूषण पर सख्त हुआ NGT, ‘कड़े कदम’ उठाने के दिए आदेश, 20 नवंबर तक जमा करना होगा रिपोर्ट

नई दिल्ली. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति सहित विभिन्न एजेंसी के प्राधिकारियों को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार के लिए ‘‘कड़े कदम’’ उठाने का निर्देश दिया है. हरित पैनल (National Green Tribunal) ने इस बात पर गौर किया कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता में कोई ‘‘सुधार दिखाई’’ नहीं दे रहा. उसने संबंधित प्राधिकारियों को 20 नवंबर तक नई कार्रवाई रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.

एनजीटी के अध्यक्ष प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने दिल्ली की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बारे में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का स्वत: संज्ञान लिया था और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी किए थे.

अधिकरण ने अपने हालिया आदेश में कहा कि सीएक्यूएम की रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक प्रतिकूल मौसम और जलवायु परिस्थितियों के कारण अक्टूबर के अंत में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘बहुत खराब’ था, जिसके कारण क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) के द्वितीय चरण के तहत 21 अक्टूबर को सक्रियता से प्रतिबंध लगाए गए थे.

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दिल्ली-एनसीआर के लिए केंद्र की क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना के तहत कार्रवाई को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है: पहला चरण- खराब (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण- बहुत खराब (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण- गंभीर ( एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण- अत्यधिक गंभीर (एक्यूआई 450 से ऊपर) है.

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’, 401 से 450 के बीच ‘गंभीर’ और 450 से ऊपर ‘अति गंभीर’ माना जाता है.

पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तकनीकी हस्तक्षेप का सुझाव दिया है, लेकिन इसने यह नहीं बताया कि इस तरह के हस्तक्षेप किस हद तक लागू किए गए थे और इनका अंतिम परिणाम क्या निकला. उसने इसके संबंध में सीपीसीबी की रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख या उससे पहले दाखिल किए जाने का निर्देश दिया.

पीठ ने दिल्ली सरकार की रिपोर्ट पर भी गौर किया, जिसके अनुसार वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, सड़कों, निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से उठने वाली धूल, खुले में सूखी पत्तियां और पराली जलाना प्रदूषण के स्रोत हैं. अधिकरण ने कहा, ‘इन सभी एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में रुख अपनाया है कि वे दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही हैं, लेकिन धरातल पर परिणाम संतोषजनक नहीं हैं.’

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अधिकरण ने कहा, ‘इसलिए हमारी राय है कि संबंधित एजेंसी को अपनी रणनीति की समीक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी समाधान निकालने की आवश्यकता है कि दिल्ली और एनसीआर में एक्यूआई स्वीकृत सीमा के भीतर बनाए रखा जाए.’ उसने संबंधित प्राधिकारियों को नई कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और आगे की सुनवाई नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.

Tags: Delhi-NCR News, Delhi-NCR Pollution

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