जैविक खाद का दिखा कमाल, खारे पानी में भी लहलहा रहे हैं फल और औषधियों के पेड़
चूरू: राजस्थान के चूरू का नाम आते ही यहां का मौसम और यहां का खारा पानी जहन में आता है. यहां पानी में फ्लोराइड की प्रचुरता के चलते अधिकांश जंगली पेड़-पौधे ही यहां नजर आते हैं. खारा पानी होने के कारण यहां खेती किसानी के लिए भी लोग बारिश पर आधारित खेती पर ही निर्भर रहते हैं. थार का द्वार कहे जाने वाले इस शहर में खारे पानी जैसी तमाम चुनौतियों के बीच अगर कोई नवाचार करता है तो वह लोगों के लिए मिशाल बन जाता है.
यहां गर्मियों में 50 डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है और ऐसे में इस शहर में एक शिक्षक का नवाचार देखने को मिला है जहां ऋषिकुल आश्रम में अमरूद, पपीता, बैर, अनार और आंवला सहित दर्जनों किस्म के फल और औषधियुक्त पेड़-पौधे शान से लहरा रहे हैं. ये कमाल जैविक खाद का और इन पेड़-पौधों की बच्चों की तरह नियमित देखभाल का है.
ऋषिकुल के ईश्वर सिंह राठौड़ बताते हैं कि करीब चार साल पहले ऋषिकुल आश्रम में एक हजार से अधिक फल और औषधि युक्त पौधों के साथ छायादार पौधे लगाए गए थे जो अब पेड़ का रूप लेने लगे और अब इनके फल भी लगने लगे हैं.
जैविक खाद करते हैं तैयारऋषिकुल आश्रम के ईश्वर सिंह राठौड़ ने बताया कि आश्रम में लगे इन पेड़-पौधों में रसायनिक खाद नहीं बल्कि जैविक खाद तैयार करके दी जाती है. राठौड़ बताते हैं कि पहले गड्ढे खोदकर उसमें एक परत गोबर और उसके ऊपर नीम के पत्तों की परत बनाई जाती है. ऐसी चार से पांच परत एक गड्ढे में गोबर और नीम के पत्तों की बनाई जाती है और उसमें गोमूत्र का छिड़काव किया जाता है और गुड़ डाला जाता है. इसके बाद गड्ढे में कई पाइप गाड़े जाते हैं जिनमें एक होल के जरिए पाइप की सहायता से पानी डाला जाता है और करीब 6 माह के बाद जैविक खाद तैयार होने पर उसे पेड़-पौधों में डाला जाता है जिससे पौधों की अच्छी ग्रोथ हुई है.
FIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 20:32 IST